भला ये कोई ढंग है, मिला के हाथ देखिए
तमीज़ तो यही है ना कि पहले ज़ात देखिए
हुज़ूर आप फर्ज़ भी निभाइए मगर जरा
ये थैलियाँ भी देखिए, तअल्लुकात देखिए
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
जब आँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल कौन पात-पात देखिए
जलाए आप ही ने सब चराग, ठीक है मगर
उजाला-तीरगी हैं कैसे साथ-साथ, देखिए
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
इसी तरह से मुल्क में रहेगा सर्वत अम्न अब
न कोई जुर्म ढूंढिए, न वारदात देखिए.
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इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष
सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व
किस...
5 वर्ष पहले
34 टिप्पणियां:
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
बहुत खूब
ऐब ढूढना आसान जो है
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
वाह...वा...सर्वात साहब मुद्दतों बाद आपकी ग़ज़ल पढने को मिली है लेकिन इसकी ख़ूबसूरती ने सारे गिले शिकवे भुला दिए...आप का कोई जवाब नहीं जनाब तभी हम आपसे लगातार लिखने की गुज़ारिश करते हैं..ऐसे पुख्ता दिलकश अशार कहना आपके ही बस की बात है...मेरी दिली दाद कबूल करें और ऐसे करम हम जैसों पर जल्दी जल्दी करते रहा करें...
नीरज
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
सर्वत साहब .... हम तो आपका हुनर देख रहे हैं और ... सुभान अल्ला ... क्या ग़ज़ब का हुनर है आपके पास ... भट्टी से तपा कर निकालते हैं हर शेर आप .... ग़ज़ब सर ...
waah bahut khoob likha...
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
khot dil me har kisi ke paas hai thoda bahut doosron ke sar nahi iljaam dala kijiye...
मैं आप सभी को ये बताना चाह रही थी कि ये गजल रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र की धुन पर लिखी है श्रीमान जी ने .
ये स्तोत्र फिलहाल मुझे तो बहुत पसंद है क्योंकि इसके शब्दों और धुन की झंकार से वातावरण गुंजित हो उठता है ,
और इसी धुन में ये गजल
है न गजब की कलाकारी ...
शिव ताडव स्तोत्र का लिंक दे रही हूँ ,सुन कर देखिये -
youtube shiv tandaw stotram
इस बार कुछ और भी अलग तरह तीखी धार है आपकी ! !!शुभकामनायें !
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
बहुत खुब जनाब बहुत खुब
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
हासिले-ग़ज़ल शेर है सर्वत साहब
बहुत उम्दा कलाम है.
यू ट्यूब का लिंक तो अभी खुल नहीं रहा
:(नेट स्पीड स्लो है :(
हुज़ूर आप फर्ज़ भी निभाइए मगर जरा
ये थैलियाँ भी देखिए, तअल्लुकात देखिए
कितनी सादा बात है और कहने का अंदाज़ ऐसा कि लाजवाब कर जाए
जब आँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल कौन पात-पात देखिए
सोच को सलाम
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सर्वत जी
बहर निकालने में हम अनाडी है इस लिए समझ नहीं पा रहे आपने गजल किस बहर में लिखी है
क्या यह
म फा इ लुन x 4 पर है या और किसी बहर पर ?
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
क्या लिख दिया है सर्वत साब? मैने पढा, बार-बार पढा....और याद कर लिया. सभी शेर बहुत सुन्दर, लेकिन इसकी तो क्या बात है.
बहुत खूबसूरत
हिन्दी छंद की और ग़ज़ल की बह्रों की मूल प्रकृति में कुछ ऐसे अंतर हैं जो ऐसी ग़ज़लें कहना कठिन कर देते हैं। बखूबी निबाह लिया आपने दोनों काव्य विधाओं को एक साथ। बधाई।
http://www.youtube.com/watch?v=McrjgeI-PtI
और
http://www.in.com/videos/watchvideo-shiva-tandava-stotram-by-ravana-writing-is-error-free-shiv-tandav-stotram-4506143.html
पर इसका गायन उपलब्ध है।
हुज़ूर आप फर्ज़ भी निभाइए मगर जरा
ये थैलियाँ भी देखिए, तअल्लुकात देखिए
vaise hur sher lajawab hai.
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
...बहुत खूब
भला ये कोई ढंग है, मिला के हाथ देखिए
तमीज़ तो यही है ना कि पहले ज़ात देखिए
सर्वत साहब.....तंज़ के साथ मतला .....वाह क्या खूब कहा.
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
सिजदे में यह तो होना ही है..........!
जब आँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल कौन पात-पात देखिए
नया दर्शन......बहुत खूब......!
इसी तरह से मुल्क में रहेगा सर्वत अम्न अब
न कोई जुर्म ढूंढिए, न वारदात देखिए.
मक्ता भी अंजाम तक बखूबी पहुँचाया आपने
अच्छी ग़ज़ल पढवाने का दिली शुक्रिया.
न कोई जुर्म ढूँढिए, न वारदात देखिए…
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गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात देखिए!
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मज़ा आ गया!
आप बहुत अच्छा कहते हैं सर्वत साहब। आपका लिखा हर बार नई जान दे जाता है मेरी सर्जनात्मकता को, ख़्यालों को, उनकी उड़ान को। मेरी शुभकामनाएँ नज़्र हैं -
जिन्हें न फ़िक्र ग़म की हो न उत्सवों का हौसला
वो पीर उनकी क्या हयात-क्या वफ़ात देखिए
जो बात-बात में तुनक के गर्दनें उतार लें
उन्हीं की बढ़ती जा रही है अब जमात देखिए
बदल के बोले नज़्रो-रंगो-नीयतो-इमान वो
बदल रही है धीरे-धीरे कायनात देखिए
हो शौक़े-शायरी तो मत कलम-दवात देखिए
सुख़नवरों ने कैसे क्या कही है बात देखिए
सदन में चर्चा है कि क्यों थीं हड्डियाँ क़बाब में
अब आज मूसलों के नीचे दाल-भात देखिए
सवाल बह्रो-छंद का प्रशंसकों के दिल में है
तो इसको छद कहते भुजंगप्रयात देखिए
शुभकामनाओं सहित,
बहुत सुन्दर ... लाजवाब !
हर शेर एक से बढ़कर एक है ...
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
क्या बात है !
सर्वत जी देर से पहुँच पाया आप के इस शानदार ग़ज़ल तक माफी चाहता हूँ..हर बार एक नई लय और भाव छोड़ जाते है..बेहतरीन ग़ज़ल ..धन्यवाद स्वीकारें
हुज़ूर आप फर्ज़ भी निभाइए मगर जरा
ये थैलियाँ भी देखिए, तअल्लुकात देखिए
समूची व्यवस्था के मुंह पर एक तमांचा है ये शेर,बहुत ख़ूब
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
बहुत सच्ची बात कह दी आप ने ,वाक़ई ये हम इंसानों की ही फ़ितरत है जिन्हें दूसरों में ऐब ही नज़र आता है ,ख़ूबियों की तरफ़ हम ध्यान ही नहीं दे पाते
एक अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारक्बाद क़ुबूल करें
भला ये कोई ढंग है, मिला के हाथ देखिए
तमीज़ तो यही है ना कि पहले ज़ात देखिए
Ji magar ab to sab haath mila kar dekhte hain
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
ahaaaa kya sher kaha hai
जब आँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल कौन पात-पात देखिए
khoob kaha ji
जलाए आप ही ने सब चराग, ठीक है मगर
उजाला-तीरगी हैं कैसे साथ-साथ, देखिए
waah waah
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
bahut pate kee baat kahi hai
इसी तरह से मुल्क में रहेगा सर्वत अम्न अब
न कोई जुर्म ढूंढिए, न वारदात देखिए.
bahut khoobsurat baat .......
bahut hi nayab gazal hui hai Sarwat ji
one of the best
सरवत साहब के क़लम के जादू की फुहार ...
एक-एक लफ्ज़ पर जाँ निसार ...
ख़याल-ओ-सोच को
अपनी खूबसूरत पकड़ में कैसे ले आते है आप..
"कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए"
गरजता , लरज़ता हुआ ये शेर
अपनी मिसाल आप ही बन गया है...वाह
और
"जबआँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल, कौन पात-पात देखिए"
दिलों को झिंझोड़ देने वाली बात
किस सफाई से इस शेर में कह दी आपने ...लाजवाब
भई ऐसे ऐसे कमाल कैसे कर लेते हो....
बता ये हुनर तूने सीखा कहाँ से .....
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
बाऊ जी,
ऐब ढूंढना आसान है!
अच्छा लिखे हैं आप...
जब आँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल कौन पात-पात देखिए
हमने तो सब कुछ देख लिया, बहुत खूबसूरत गजल कही है आपने।
कभी समय मिले, तो इधर भी देखिए।
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बूझ सको तो बूझो- कौन है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
सर्वत साहब बहुत दिनों के बाद आई इस ब्लॉग पर और कमाल की गज़ल मिली ।
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
वाह ।
बहुत खूब!
ये ग़ज़ल बहुत बढ़िया कही गयी है जनाब!
इस क़दर ख़ूबसूरत कि मैं न केवल दोबारा आया पढ़ने के लिए बल्कि अपनी पसन्द भी दोबारा दर्ज कर जा रहा हूँ। बहुत बढ़िया!
पुरअसर ग़ज़ल, दिलकश बहर और खूबसूरत रदीफ़..सब आपके ही बस का है..
हर शेर तीखी मार करता है हमारी आडम्बरपूर्ण सोच पर..
और यह शेर तो..
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
कमाल की बात कही है..
गुरु जी हमारे द्वार आयें और हमारी निगाह न जाये ......??
तौबा ! ये गुनाह तो न करवाइए हमसे ........
ग़ज़ल पहले भी पढ़ी सी लगी .....इतना भी याद था कमेन्ट भी दिया था .....पर वो शायद बज्ज़ पे था .....
माशाल्लाह ....क्या हुनर है आपकी कलम में .....
चलिए एक बार और रस ले लेते हैं इस बढिया ग़ज़ल का .....
हुज़ूर आप फर्ज़ भी निभाइए मगर जरा
ये थैलियाँ भी देखिए, तअल्लुकात देखिए
इसे समझ नहीं पाई ....थैलियाँ किस चीज की हैं .....??
कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया
गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए
अहा ये तो लाजवाब कर गया .....बहुत खूब .....!!
जब आँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा
है कौन डाल-डाल कौन पात-पात देखिए
बहुत खूब ...बिलकुल तरो-ताज़ा .....!
जलाए आप ही ने सब चराग, ठीक है मगर
उजाला-तीरगी हैं कैसे साथ-साथ, देखिए
जी ...बिलकुल सही है ....दर्द के बिना जीने का मज़ा क्या .....?
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
सन्देश देता शे'र ......!!
इसी तरह से मुल्क में रहेगा सर्वत अम्न अब
न कोई जुर्म ढूंढिए, न वारदात देखिए.
अब तो कयामत का ही इन्तजार है .....अम्न तो ऐसा ही रहेगा .....
बेमिसाल .........!!
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
इस शे'र के क्या कहने , और आपकी शेरियत के बारे में , कुछ ना कह पाउँगा ... बस सलाम करता चलूँ ...
अर्श
इसी तरह से मुल्क में रहेगा सर्वत अम्न अब
न कोई जुर्म ढूंढिए, न वारदात देखिए.
- वर्तमान हालात में अमन का नायाब नुस्खा बयान किया है.
हर आदमी में ऐब ढूंढना कमाल तो नहीं
कभी हुनर भी देखिए, कभी सिफात देखिए
bas yahi eb hai mujh me ki itani badiya gazal dekh kar sab kuch bhool jaati hoon. kuch kahate nahin ban raha ki tarif me do shabd kah doon ye eb nahin to kya hai magar sift ye hai ki apaki gazal padhana achha lagata hai . shubhakamanayen
kya aisee gazal likhani mujhe aa sakati hai???
बहुत सही भाई जान.....
क्या मतला है
हर घड़ी इस तरह मत सोचा करो
जिंदा रहना है तो समझौता करो
यह तो खूब सच कहा आपने/.........
कुछ नहीं, इतना ही कहना था, हमें
आदमी की शक्ल में देखा करो
और
जात, मजहब, इल्म, सूरत, कुछ नहीं
सिर्फ़ पैसे देख कर रिश्ता करो
जिंदाबाद कहने को जी छह रहा है.....क़ुबूल करें...!
क्या कहा, लेता नहीं कोई सलाम
मशवरा मनो मेरा, सजदा करो
लोकसत्ता, लोकमत, जनभावना
फूल संग गुलदान भी बेचा करो
लूट लिया.......भाई जान....!
आपका मक्ता हमेशा बहुत ही सशक्त होता है सर...इस बार भी।
कभी हुनर भी देखिये कभी सिफात भी देखिये...वाह क्या बात कही है। काश कि हमसब समझ जायें इस मूल को।
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