सौ जतन से क्या बोलें
अपने मन से क्या बोलें
उम्र भर खमोशी थी
अन्जुमन से क्या बोलें
आबले हैं पैरों में
हम थकन से क्या बोलें
याद है हमें फ़रहाद
कोहकन से क्या बोलें
दार तक चले आए
इस रसन से क्या बोलें
गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें
सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें
हमज़बां नहीं 'सर्वत'
हमवतन से क्या बोलें.