धूप की नवाज़िश से जिस्म जलने लगता है
शाम शाम कुहरे सा फिर पिघलने लगता है
देश की तरक्की का यूँ हुआ सफर जारी
नींद में कोई बच्चा जैसे चलने लगता है
मसअलोँ पे सब के सब अब तो चुप ही रहते हैं
यह मेरा लहू आख़िर क्यों उबलने लगता है
आप ही बताएं कुछ यह सियाह अँधियारा
रोशनी के साये में कैसे पलने लगता है
ज़िन्दगी की लहरों में रेत भी है, मोती भी
तैरता नहीं है जो, हाथ मलने लगता है
आप हार बैठे हैं, देखिये ज़रा सूरज
दिन उगे निकलता है, शाम ढलने लगता है
तुझ में इतनी तबदीली कैसे आ गयी सर्वत
नर्म नर्म लहजे से तू बहलने लगता है.
Swelling, Anti Ageing, Wrinkles, Boost Energy, Hair Growth Etc.Treatmen...
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इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष
सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व
किस...
5 वर्ष पहले