अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
अगर है सब्र तो नेमत लगेगी दुनिया भी
नहीं है सब्र अगर फिर तो जंग है दुनिया
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
Swelling, Anti Ageing, Wrinkles, Boost Energy, Hair Growth Etc.Treatmen...
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इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष
सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व
किस...
5 वर्ष पहले
33 टिप्पणियां:
सर्वत चचा!
अब तक की बेहतरीन ग़ज़ल से सामना हुआ... निशब्द हूँ.
पता नहीं मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है की, इस शेर में...
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
...आपने अपने गुस्से और वस्तुस्थिति का इज़हार किया है. आप जब भी गभीर होते हैं, माशा अल्लाह ग़ज़ल इस तरह मेहरबान होती है की हम तो आपके आगे बौने लगते हैं. यह तेवर कायम रहे, सर्वत साहब. दुआ है.
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
खूबसूरत शेरों से सजी सुन्दर गज़ल. बस इसी प्रकार हमें अपनी गज़लों से मालामाल रखें.
bahut pasand aayi aapki ghazal .... :)
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
बहुत अच्छी लगी आप की यह दुनिया,
गरीब के दम पै है यह दुनिया.
बहुत धन्यवाद
bahut khoob...ye duniya agar mil bhi jaye to kya hai..
सर्वत जी,मैं बस इतना कहूँगा आपके ग़ज़ल को पढ़ना मेरे लिए एक सौभाग्य की बात हैं..
यह भी बेहतरीन...धन्यवाद
वाकई सर्वत साहब,
दंग है दुनिया!
कोई मज़हब पे फ़िदा कोई धर्म पे पागल
मेरी नाफ़िक्री पे ख़ुश है, मलंग है दुनिया
कभी मिल बैठो कभी नेह के धागे जोड़ो
यही तहज़ीब यही जमनो-गंग है दुनिया
आदाब!
लूट लेने को लोग बदहवास फिरते हैं
कटेगी कब? बड़ी रंगीं पतंग है दुनिया
सर्वत साहब, मेरा मानना है कि अच्छी रचना वो होती है जो तुरन्त कुछ रचने को इंस्पायर करती है, प्रेरणा देती है। इस हिसाब से बेहद कामयाब ग़ज़ल रही, मेरी दाद क़बूल करें।
मेरी गुस्ताख़ी को नज़र-अंदाज़ कीजिएगा, ये इल्तेजा भी है,
पूरी ग़ज़ल बेहतरीन......
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
यादगार...लाजवाब शेर
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
हासिल ए ग़ज़ल शेर लगा है.
हुज़ूर....
आपके नायाब ख़ज़ाने का
एक और क़ीमती नगीना ....
वाह - वा !!
"वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया"
"बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया"
ये शेर ख़ास तौर पर पसंद आये हैं
ग़ज़ल में
हताशा और उम्मीद इस क़दर गुंथे हुए हैं
कि कुछ कहते नहीं बनता ....
आपकी इनफरादियत बस आपकी ही है
इस में कोई शक नहीं ...
नहाओ लाख सरोवर, मलो भभूती भी
उतर सका न कभी ऐसा रंग है दुनिया
निःशब्द ... आप जो भी कहना चाहते हैं ... शब्दशह सामने आ जाता है .... इतनी खूबसूरत अड़ायगी होती है की बात सीधे से समझ आ जाती है ... दुनिया के अनुभवों को दो लाइनों में समेटने में आपको महारत है ....
यह तो लगा, मेरे लिए लिख रहे हो, कभी सोचता था ५० साल नहीं जी पाऊंगा ! मगर अब ५५ हो गए यार , और आदत हमारी सरवत भाई बिलकुल ऐसी ही है...लगता है तुम बुड्ढे हो गए हो .... बुरा तो नहीं मान सकते मुझे भरोसा है तो फिर आगे से ऐसा शेर नहीं लिखना !
नो थैंक्स टू यू !
अगर है सब्र तो नेमत लगेगी दुनिया भी
नहीं है सब्र अगर फिर तो जंग है दुनिया
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
बेहतरीन अश’आर से मालामल ग़ज़ल पढ़ने को मिली
लेकिन ये दो अश’आर मुझे बहुत पसंद आए,
बहुत ख़ूब
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
Waise to pooreee rachana dohrayi ja sakti hai!
'Raton ki baaraaten,dinon ke qafile,
chhatparse guzarte rahe...'
अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
अगर है सब्र तो नेमत लगेगी दुनिया भी
नहीं है सब्र अगर फिर तो जंग है दुनिया
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
बस जी यही पसंद आया
इसके सिवा कुछ नहीं :)
'jarib jinda hai, dang hai duniya'... umda gazal... hum rahenge puri shiddat ke saath aur amiron ki duniya yo hi dang rahegi...
Aadarniye sarwat Sahab Ji ..
Chanrnbandna
Sari Ghazal bahut hi achi lagi....
Bar-Bar pad rha hun .. bahut hi lazbaab
Shukriya
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
****
ये दुनिया बहुत फितरती है मान लीजिये
किसको पता किसके संग है दुनिया
बेहतरीन रचना सर्वत जी
बहुत खूब
अगर है सब्र, तो नेमत लगेगी दुनिया भी
नहीं है सब्र अगर, फिर तो जंग है दुनिया
.... बहुत खूब ... लाजवाब!!!!
...इस शेर में एक "टिप्पणीकार" की हैसियत से टिप्पणी स्वरूप दो जगह "," (कामा) लगा लिया हूं, ... लाजवाब शेर, लाजवाब गजल ... बहुत बहुत बधाई !!!
DIL CHAHTA HAI VENUS KESARI VALI TIPPANI CHHAP DOON BAHUT HI ACHHI LAGEE GAZAL IS SHER KEE KYAA KAHOON----
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
VAAH BHAAI YE DIL KO CHHOO GAYAA BADHAAI AUR SHUBHAKAAMANAYEN JALDI ME ITANA HEE
अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
waah matla khoob shuru kiya hai
gazal ke bhaav yahi par tay ho gaye ..........
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
aha kya sher kaha hai
surang ka kafiya ...... kamaal hai
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
अगर है सब्र तो नेमत लगेगी दुनिया भी
नहीं है सब्र अगर फिर तो जंग है दुनिया
saar likh diya zindgi ka aapne
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
is sher ke to jalwe hi alag hai
gareeb zinda hai dang hai duniya .......
bahut bahut khoobsurat gazal hui hai Sarwat ji
ाआपकी गज़ल के हर शे‘र पर दंग हूं मैं ,दुनिया अपनी जाए -कमाल है सर्वत भाई-वाकई कमाल
दुनिया की सुंदर परिभाषा। बधाई।
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गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
शरवत साहब......होश उड़ गए हमारे.......आपसे सीखता हूँ कि ग़ज़ल कैसे कहनी चाहिए......!
अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
बेहतरीन मतला है हुज़ूर......कितनी भी दाद दूं कम ही लगेंगी (पूरी मुआफी चाहूँगा पहले मिसरे में एकवचन और दूसरे में बहुवचन ......कुछ खटकता है......)
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
क्या बात है,.......लूट लिया.....!
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
क्या तंज़ है हालत पर.....वाह वाह......!
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
उफ़......जिंदगी कि सच्चाई लिख दी आपने.....!
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
ग़ज़ल में जब दर्शन हो जाये तो ग़ज़ल रूह तक पहुँच जाती है........रूहानी शेर जो दिल में जज़्ब हो गया.
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
सच कहा सर्वात साहब......खाहिशों का कोई अंत नहीं......
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
क्या मज़मून है............!
उम्दा ग़ज़ल के लिया शुक्रिया......!
शरवत साहब......होश उड़ गए हमारे.......आपसे सीखता हूँ कि ग़ज़ल कैसे कहनी चाहिए......!
अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
बेहतरीन मतला है हुज़ूर......कितनी भी दाद दूं कम ही लगेंगी (पूरी मुआफी चाहूँगा पहले मिसरे में एकवचन और दूसरे में बहुवचन ......कुछ खटकता है......)
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
क्या बात है,.......लूट लिया.....!
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
क्या तंज़ है हालत पर.....वाह वाह......!
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
उफ़......जिंदगी कि सच्चाई लिख दी आपने.....!
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
ग़ज़ल में जब दर्शन हो जाये तो ग़ज़ल रूह तक पहुँच जाती है........रूहानी शेर जो दिल में जज़्ब हो गया.
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
सच कहा सर्वात साहब......खाहिशों का कोई अंत नहीं......
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
क्या मज़मून है............!
उम्दा ग़ज़ल के लिया शुक्रिया......!
sarwat sahab bahut hi sundra gajal
मुझे इस ब्लॉग पर पढी हुई सबसे बेहतरीन गजलों में से एक लगी । भाव और लय दोनों दृष्टि से ।
हर शे'र नायाब है । आपकी शायरी में जो आग या तडप है वही इसकी जान है और हर बार अपनी गजलों में आप इसे व्यक्त कर पाते हैं
अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
बहुत सधी और सुलझी हुई बेहतरीन ग़ज़ल।'वो कह रहे है के……'तो हासिल-ए-ग़ज़ल है। बधाई।
कमाल के काफ़ियों से सजी-धजी लाजवाब अशआर से भरी ग़ज़ल सर जी...
इस शेर को नोट कर लिया है यत्र-तत्र-सर्वत्र उद्धृत करने के लिये
"बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया"
लाजवाब और अनमोल गज़ल ... एक एक शे'र मोती ...
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया
वाकई आपकी गज़ल कारी पर भी दुनिया दंग है
नमन है आपको ...
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