रविवार, 30 अगस्त 2009

गजल- ६८

हर कहानी चार दिन की, बस
जिंदगानी, चार दिन की बस

तज़किरा जितने बरस कर लो
नौजवानी चार दिन की, बस

एक दिन सब लौट आयेंगे
बदगुमानी चार दिन की, बस

हुक्मरां सारे मुसाफिर हैं
राजधानी चार दिन की बस

खून टपका, जम गया, तो क्या
यह निशानी चार दिन की, बस

जब हरम में बांदियाँ आयें
फिर तो रानी चार दिन की, बस

जल्द ही सैलाब फूटेगा
बेज़ुबानी चार दिन की, बस

मुल्क पर हर दिन नया खतरा
सावधानी, चार दिन की, बस

21 टिप्‍पणियां:

अमिताभ मीत ने कहा…

क्या बात है जनाब...... बहुत खूब ग़ज़ल कही है.

mehek ने कहा…

waah behtarin

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

दुनिया का दस्तूर लिखा है
उलझन का नासूर लिखा है
हर रांझे ने हीर को अपनी
जन्नत की ही हूर लिखा है
हमने दिल का हाल सुनाया
जग ने इसे gurur लिखा है
मौज में बहका मेरा पांव
खबर में इसे सुरूर लिखा है
नहीं करी कोई कोताही
गर्दूं ने भरपूर लिखा है
कैसे कैसे जाम पिलाये
पर साकी को दूर लिखा है
इल्मेसर्वत के सब कायल
हमने भी तुम्हे हुज़ूर लिखा है

वीनस केसरी ने कहा…

छोटी बहर में इतना बड़ा रदीफ़ प्रयोग करना, और वो भी ऐसा रदीफ़
कमाल है
और गजल भी क्या खूब निकली है
पढ़ कर मज़ा आ गया

वीनस केसरी

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

behtareen.....

शारदा अरोरा ने कहा…

क्या खूब लिखा है
हर बात चार दिन की बस
जिन्दगानी है पानी का बुलबुला
रवानी चार दिन की बस

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

आज के यथार्थ को बयां करती एक अच्छी ग़ज़ल |

gazalkbahane ने कहा…

सावधानी चार दिन
बेजुबानी चार दिन
क्या आइना दिखाया सर्वत भाई

वीनस केसरी ने कहा…

सर्वत जी कृपया मदद करिए

गूगल के फीड बर्नर से मैं आपकी नई पोस्ट नहीं पढ़ प् रहा हूँ नई पोस्ट शो ही नहीं हो रही है


वीनस केसरी

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

मुल्क पर हर दिन नया खतरा,
सावधानी, चार दिन की, बस

वाह, भाई सर्वत जी, वाह, क्या करारी और सच्ची बात चंद लफ्जों में इस बेहतरीन और नायब शेर में कह गए.
पुरी ग़ज़ल के लिए भी हार्दिक बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर

Asha Joglekar ने कहा…

Sarwat jee kamal kee gajal hai. Badhaee.

हैरान परेशान ने कहा…

आप की गजलें हैं तो बहुत तीखी.मिर्च का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं शायद. एक बात बताऊँ----कितना ही लिख पढ़ लीजिये इस देश और समाज पर कोई असर नहीं पड़ने का. एक बात और इतना सच भी मत लिखा कीजिए, कोई देसी पिस्तौल से फायर कर देगा......फिर!!!!!!!!!!!!!!

हेमन्त कुमार ने कहा…

अपनी बात को बड़ी कशीदाकारी से कह दिया आपने । आभार ।

गर्दूं-गाफिल ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

हर शेर लाजवाब...उम्दा ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Chhoti bahar men kamaal kar diya aapne.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

bhootnath ने कहा…

अरे ये यकायक भूतनाथ कहाँ आ गया भाई.....ये तो ग़ज़ल का समंदर लगता है....इसमें डूब कर हम मर जायेंगे.....ऐसा लगता है....!!...लाजवाब....यकीनन....अद्भुत....निस्संदेह....शानदार
जबरदस्त...और क्या कहूँ...सोचकर आता हूँ....!!

निर्मला कपिला ने कहा…

सर्वत जी जब भी किसी की गज़ल पढती हूँ तो कम्मेन्ट देना चाहती हूँ मगर गज़ल की ABCभी नहीं जानती मैने पहले भी आपकी गज़लें पढी हैं मगर बिना कम्मेन्ट दिये लौट गयी अब सूरज को ओशनी कैसे दिखाऊँ । बहुत सुन्दर लाजवाब गज़लें है। बहुत बहुत बधाई।अप जैसे बडे शब्द शिल्पी का मुझे उत्साहित करना बहुत अच्छा लगा आभार्

daanish ने कहा…

जल्द ही सैलाब फूटेगा
बेज़ुबानी चार दिन की, बस

हुज़ूर !
ये शेर ऐसा मन में उतरा क अन्दर की
गुनगुनाहट का हिस्सा ही बन गया है
बहुत खूब सर्वत भाई....
बहुत बड़ा कमाल किया है आपने
एक ही लफ्ज़ ....
काफिया भी ...जुमला भी
वाह !!
---मुफलिस---

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

Sirf Padhunga.
No comments.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

Ye Gazal to kamaal hai.