इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है
बुराई भी सभी करते हैं उसकी
पर उसको कौन छोड़े, पालता है
यकीनन है कोई खुफिया इरादा
कोई ऐसे ही थोड़े पालता है
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है
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इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष
सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व
किस...
5 वर्ष पहले
39 टिप्पणियां:
अच्छी जबर्दस्त ग़ज़ल
संजीदगी कहूं या दागे जिगर कहूं
सर्वत तेरे हुनर को किसका असर कहूं
अल्फाज़ तराशे सजाये भी करीने से
हैरत में हूँ हजरत सर्वत को क्या कहूं
बहुत अच्छे!
सर्वत साहब, क्या ख़ूब कही "भगोड़े" पालने की भी!
बहुत मज़ा आया, बहुत बढ़िया - और मतला तो ख़ैर दिलखेंच है ही
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
waah kya sawal hai
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
kamaal ka sher
वहीं कानून की होती इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
bilkul sahi singapore mein dekha hai ...
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है
waah waah
बहुल उम्दा ग़ज़ल ,
समाज के शिकस्ता उसूलों पर ऐसा तंज़ जिसे समझ लें तो समाज के ठेकेदार तिलमिलाकर रह जाएं
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
नैतिक मूल्यों के आधार पर ये ग़लत सही लेकिन हो यही रहा है
ये कामयाब ग़ज़ल मुबारक हो सरवत भाई
इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है...
इंसान के दोहरे चरित्र को बयान करते शानदार मतले से शुरूआत...
और ये शेर-
बुराई भी सभी करते हैं उसकी
पर उसको कौन छोड़े, पालता है
बहुत कुछ कह रहा है..
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
हासिले-गज़ल शेर लगा है...
बेहतरीन अश’आर पेश किए हैं
मोहतरम सर्वत साहब.
ओह! मुझे फिर देर हो गई...
बुराई भी सभी करते हैं उसकी
पर उसको कौन छोड़े, पालता है
वाह! क्या बात! सर जी...
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
शायद हालात करवाते हों ?
मैं फिर कहूँगी...गरजदार ग़ज़ल...बधाई हो!
सिंगापूर से लौटे तो आपके ब्लॉग पर जाना ही था.....देखा तो दो नयी गजले मिल गयीं.....यकीं मानिये मज़ा आ गया
इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है
ये हुआ उस्तादों वाला मक्ता......!
यकीनन है कोई खुफिया इरादा
कोई ऐसे ही थोड़े पालता है
दिल जीत लिया सर्वत भाई....कुर्बान...!
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
(क्या मिसरा ए अव्वल को ऐसे कहा जा सकता है ..." दिखाई जो नहीं पड़ते किसी को...." ? गुस्ताखी माफ़ हो...)
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
बहुत शानदार.......! न्योछावर हो गए हम आप पर....!
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है
सच्चाई है यह भाई......!
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है
कमाल फिर से कमाल कर दिया सर्वत साहब ..... सब के सब शेर बेमिसाल ... उफ़, वाह, क्या बात है ..... निकलतही रहता है बार बार .... लूट लिया इन शेरों ने तो ...
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
सर्वत जी..ग़ज़ल पढ़ने के बाद सोच में पड़ जाता हूँ कि इतना देर से क्यों पहुँचा आप के ब्लॉग पर मेरे लिए आपकी ग़ज़लें एक खास महत्व रखती है..आपके शब्द चयन,भाव,बहर बहुत कुछ सिखाती है हम जैसे शायरो को..
यह ग़ज़ल भी बेहतरीन...शुक्रिया सर्वत जी..
इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है
इंसान की, न नज़र आने वाली ज़हनियत को
बहुत ही खूबी से बयान करता हुआ
मतले का ये शेर ग़ज़ल के मज़मून का
त`आरुफ़ बखूबी करवा रहा है ....
ऐसे टेढ़े और मुश्किल क़ाफियों को चुनना और
उन्हें उनकी जगह पर मजबूती से बिठा पाना
जनाब-ए-सर्वत साहब का ही कमाल हो सकता है
बुराई भी सभी करते हैं उसकी
पर उसको कौन छोड़े, पालता है
शेर की बंदिश और उसका म`आनी
दोनों ही शानदार साबित हुए हैं ... वाह !
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
ये शेर ग़ज़लियात के सभी तक़ाज़ों पर खरा
उतरा है .... सुब्हानअल्लाह !!
बहुत बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
pranaam dada
aapko tippani dene ka man nahin karta. kya likhoon? har bar ye yaksh prashn samne aa jata hai. aapki ghazalon par tippni dene layak hasiyat nahin hai. isliye bataur aamad apn haziri darz karaata hoon.
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
kya baat hai sarvat ji bejoD sher
daad kubool karen
बाऊ जी, नमस्ते!
पढ़े-लिखों की दुनिया में मेरा स्वागत है!
वाह! वाह! वाह!
आशीष
--
बैचलर पोहा!!!
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
वहीं कानून की होती इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है\वाह भाई साहिब कमाल के शेर हैं। पूरी गज़ल बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद और शुभकामनायें
umda ..behad umda..aachon..acchon se daad mili hai aapko...badhai1
आदरणीय सर्वत साहब की इस ग़ज़ल का हर शेर गहरा और मुकम्मल है. पर मुझे खास तौर पे जो अच्छा लगा, जो सार्वभौमिक सत्य है मैं आपही को समर्पित कर, आपके ही सम्मान में पेश करता हूँ-
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
सच कहा आपने भय के बगैर प्रीत भी नहीं ! आभार !!
वाह !! वाह !!....कमाल की ग़ज़ल ||
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
वाह , बहुत उम्दा शेर
वहीं कानून की होती इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
इस शेर की तारीफ़ को , कोई शब्द नहीं मेरे पास
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है
वाह !! वाह !!.........बहुत खूब ||
इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है.
लाजवाब ग़ज़ल है.
सर्वत सर बड़े दिनों बाद आप तक पहुंचा और भौचक्का रह गया. तीन नयी गजले देख.
मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ कि जब मैंने ब्लॉग सब्स्कराइब कर रखा है तब भी आपके पोस्ट कि सूचना नहीं मिली. ये शायद मेरे डैशबोर्ड की खामी है या ऊपर से ही ब्लॉग की तकनिकी गड़बड़ी है.
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
इस शेर की तारीफ़ को , कोई शब्द नहीं मेरे पास
लाजवाब ग़ज़ल है.
कठिन काफि़या निभाना इस खूबसूरती से छोटी बह्र में, बस वाह वाह।
SUNTAA HOON EK SARWAT HAIN.VE BAHUT
ACHCHHE ASHAAR KAHTE HAIN.AAJ AAPKE
BLOG PAR AANE KA SUNAHRA AVSAR
MILAA HAI.AAPKEE GAZALEN PADHEE HAIN.SOCHTAA HOON KI AAPKE BLOG PAR
MAIN PAHLE KYON NAHIN AA SAKAA.
ITNEE LAJAWAAB GAZALEN KI TAREEF
MEIN MERE MUNH SE SHABD FOOT PADE
HAIN - KHOOB ! BAHUT HEE KHOOB !!
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
सर्वत साहब बहुत सुंदर ।
यह है कौन ?? जो सर्वत भाई को तंग कर रहा है :-
उधर हँसो के जोड़े पाल रहा है ।
इधर कीड़े मकोड़े पाल रहा है ।।
*
वाह जी,क्या मतला है !
पूरी ग़ज़ल ही खूब अच्छी लगी । बधाई !
उधर हँसो के जोड़े पाल रहा है ।
इधर कीड़े मकोड़े पाल रहा है ।।
*
वाह जी,क्या मतला है !
पूरी ग़ज़ल ही खूब अच्छी लगी । बधाई !
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
सच ही कहा भाई जान, अपन भी आजकल खुद को बहुत तोड़-मरोड़ रहे हैं तब कहीं जाकर आप तक पहुँच पते हैं और ब्लाग पर कोई पोस्ट डाल पते हैं.
ग़ज़ल के सभी शेर हमेशा की तरह एक से बढ़ कर एक
तहे दिल से बधाई स्वीकार कर अनुग्रहित करें...........
चन्द्र मोहन गुप्त
very good.
एक से एक काफ़िये ले कर आना..और उन्हे अशआरों मे सजा देना आपके बस का ही है..यहाँ कफ़िये को अलहदा ऐंगल्स से निचोड़ा है आपने..और यह शेर जैसे आइना रख देता है..लबे-बाम
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
बहुत खूबसूरत!
bahut khub
sundar gajal har sher behtrin
abhar
4tha sher to gazab hai bhai....september gujar gaya...aap nahi aaye....
शरवत भाई......
कहाँ से ये लफ्ज़ और ख्याल लाते हैं......
मतला है कि बवाल ए जान है....????????
इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है
जिंदाबाद......!!!!!
बुराई भी सभी करते हैं उसकी
पर उसको कौन छोड़े, पालता है
बहुत सही
इन दो शेरोन पर जितनी दाद दी जाये कम है.....वाह वाह !!!!!
बचा है कोई भी, जो आज ख़ुद को,
बिना तोड़े मरोड़े पालता है ?
******
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
ये शेर तो जैसे आपने हम जैसों के लिए ही लिखा है......------
वहीं कानून की होती है इज्जत
जहाँ इंसाफ कोड़े पालता है
बहुत ही उम्दा शेर है उस्ताद........!
भला जीतेगा कैसे जंग में वह
मेरा दुश्मन भगोड़े पालता है
हुज़ूर
कहाँ हैं आजकल ...
ऐसे क्या "मौन" धारण कर लिया
आपका फोन नंबर भी खो गया है
और आपका शेर भी याद आता रहता है
"जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है"
०९८७२२-११४११.
thank you for guidance farooq jaisi
शानदार!!!!शानदार
2.5/10
साधारण पोस्ट
एक भी शेर ऐसा नहीं जो दिल में जगह बना सके. हाँ नयापन अवश्य है.
इधर हंसों के जोड़े पालता है
उधर कीड़े मकोड़े पालता है
शानदार ग़ज़ल!
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
खूबसूरत शे‘र पर बधाई
जो दिखलाई नहीं पड़ते किसी को
बदन ऐसे भी फोड़े पालता है
खूबसूरत शे‘र पर बधाई
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