जब जब टुकड़े फेंके जाते हैं
कुत्ते पूंछ हिलाते जाते हैं
हाथ हिला कर कोई चला गया
लोग खुशी से फूले जाते हैं
चेहरा बदला, तख्त नहीं बदला
चेहरे क्या हैं, आते - जाते हैं
इल्म, शराफत हैं कोसों पीछे
सिर्फ़ मुसाहिब आगे जाते हैं
सत्य, अहिंसा, प्यार, दया, ममता
इस रस्ते बेचारे जाते हैं
जीना है तो यह फन भी सीखो
कैसे तलुवे चाटे जाते हैं
सरकारी विज्ञापन पढ़िये तो !
अब भी कसीदे लिक्खे जाते हैं
झंडा, जश्न, सलामी, कुछ नारे
हम नाटक दुहराते जाते हैं।
मै
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अगर आपको भारत वर्ष की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पर थोड़ी सी भी
आस्था है तो आप किसी भी बीमारी के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के लिए मुझसे बात कर
सकते हैं.
...
5 माह पहले
19 टिप्पणियां:
प्रणाम दादा
साहित्य हिन्दुस्तानी पर गीत और यहां ग़ज़ल पढी. आज के दिन की इससे बेहतर शुरूआत और कुछ नहीं हो सकती. शेर नोट कर लिये हैं आफिस में ए.आर. सर हैं जनाब हसन जफर जलील. शौकिया लेकिन बहुत अच्छे शाइर हैं. अभी कुरआन पर काम कर रहे हैं. मिलते ही कहेंगे शेर सुनाओ संजीव, उन्हें आज यही ग़ज़ल सुनाने वाला हूं.
बहुत बहुत ही सुन्दर भाव से भरी पंक्तियाँ......बधाई
achhi rachna hai
hum likhna kuch chahte hai
aur likh kuch aur jate hai
jeena muskil ho gaya hai lekin
fir hum jite jaate hai
sundar abhivyakti
venus kesari
ग़ज़ल के ये तेवर ये धार
सुखन का है असली शृंगार
तरेरे भौहं अगर अल्फाज़
नरम पड़ जाती है तलवार
आग में जलता है विश्वास
न गाया जाये राग दरबार
बधाई फिर से लो एक बार
इल्म ए सर्वत को नमस्कार
बेहतरीन ग़ज़ल का एक और नायब तोहफा परोसा है आपने.
हमेशा की तरह हर शेर की धार एक से बढ कर एक.
बधाई! बधाई!! बधाई!!!
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’
swatantrata diwas kee bahut bahut shubh kamnaen. Aapkee gazlen to kamal kee hai aapk mere blog par aaye. Jarra nawajee ka shukriya.
जीना है तो यह फ़न भी सीखो
कैसे तलुए चाटे जाते हैं
वाह ...वाह....बहुत खूब.....!!
झंडा, जश्न, सलामी कुछ नारे
हम नाटक दुहराते जाते हैं
क्या खूब करारी चोट की है आपने ....लाजवाब ......!!
सत्य,अहिंसा,प्यार,दया,ममता
इस रस्ते बेचारे जाते हैं
एक कटु सत्य को
किस आसानी और सादगी
से प्रस्तुत किया आपने .....
सच मुच सराहनीय है ......
पूरी रचना मननीय बन पडी है
अभिवादन स्वीकारें
---मुफलिस---
ilm sharafat hai koson peeche....
...sir sahi kaha aapne !
aur yakeen maniye har ek sher kabil-e-daad hai.
main to theek se taarif bhi nai kar sakta.
झंडा, जश्न, सलामी कुछ नारे
हम नाटक दुहराते जाते हैं
लाजवाब!!!
धारदार गजल।
( Treasurer-S. T. )
बहुत तेज धार है | धार बनाये रखें, धयन रहे ये कुंद ना होने पाए |
बहुत अच्छा लगा यह गज़ल पढ़कर !
आभार !
झंडा, जश्न, सलामी कुछ नारे
हम नाटक दुहराते जाते हैं
बिलकुल सही बेहतरीन प्रस्तुति बधाई
आपकी कई रंगों वाली गजल ने तो मुझे हैरान परेशान कर दिया
मुबारक हो
सत्य अहिंसा प्यार दया ममता
इस रस्ते बेचारे जाते हैं
सुभान अल्लाह...क्या ग़ज़ल कही है आपने...जिंदाबाद जनाब जिंदाबाद...बेहतरीन...वाह.
नीरज
अरे ये यकायक भूतनाथ कहाँ आ गया भाई.....ये तो ग़ज़ल का समंदर लगता है....इसमें डूब कर हम मर जायेंगे.....ऐसा लगता है....!!...लाजवाब....यकीनन....अद्भुत....निस्संदेह....शानदार
जबरदस्त...और क्या कहूँ...सोचकर आता हूँ....!!
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