बयान देते हैं सब, कोई जी नहीं देता
कठिन समय पे कोई भीख भी नहीं देता
गरीब हो तो कहावत भी याद रखनी थी
बगैर तेल दिया रोशनी नहीं देता
चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है
सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता
लिखत पढ़त ही शरीफों में ले गयी सर्वत
मगर लहू मुझे संजीदगी नहीं देता
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इन आलेखों में पूर्व विद्वानों द्वारा बताये गये ज्ञान को समेट कर आपके समक्ष
सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयत्न मात्र है .औषध प्रयोग से पूर्व
किस...
5 वर्ष पहले
27 टिप्पणियां:
यहाँ तंज भी है और रंज भी है क्या खूब कहन है वाह वाह वाह
तीर ऐ जुबां खामोश भी है तलवार भी है ये वाह वाह वाह
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
लिखत पढ़त ही शरीफों में ले गयी सर्वत
मगर लहू मुझे संजीदगी नहीं देता
समाज से और ज़माने से नाराज़गी का क्या अंदाज़ है!
वाह !
आम आदमी की तकालीफ़ को बयान करती हुई ग़ज़ल
बहुत उम्दा !
चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है
सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
बहुत
बहुत अच्छे शेर हैं...
सर्वत के दिल में बसे अच्छे शाईर से पहचान करवाने वाले ..
वाह !!
क्या बात है, लाजवाब लगे हर एक शेर, बहुत बढ़िया ।
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता
वाह जनाब वाह क्या बात हे
पहला शेर समझ नहीं आया ,
इसमें जी से आप क्या कह रहे हैं...?
कुछ शेर बहुत सुन्दर बन पड़े हैं ...पसंद आए ।
इन शेरों में आम जन का दर्द तो है ही, साथ एक ख़ास किस्म की प्रस्तुति भी है.
तारीफ़ में हमसे कुछ कहते नहीं बन रहा है...
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
लिखत पढ़त ही शरीफों में ले गयी सर्वत
मगर लहू मुझे संजीदगी नहीं देता
...बिलकुल! खूब फरमाया आपने.
(बयान देते हैं सब, कोई जी नहीं देता... यहाँ 'जी' से तात्पर्य मन, ध्यान, जान लगता है)
गरीब हो तो कहावत भी याद रखनी थी
बगैर तेल दिया रोशनी नहीं देता
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता
मेरे आका...इतनी मुद्दत बाद मिले हो...किन सोचों में गुम रहते हो ????...खैर देर आयद दुरुस्त आयद...इतनी खूबसूरत ग़ज़लें कहते हैं आप, आपकी कमी इसीलिए तो खटकती है...पूरी ग़ज़ल कमाल है..एक एक शेर दिन में उतरता चला गया है...मेरी दिली दाद कबूल करें और अपने चाहने वालों को यूँ न रह रह कर तरसाया करें...
नीरज
बहुत सुन्दर नज़्म.
बयान देते हैं सब, कोई जी नहीं देता
कठिन समय पे कोई भीख भी नहीं देता
गरीब हो तो कहावत भी याद रखनी थी
बगैर तेल दिया रोशनी नहीं देता
चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है
सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता
सर्वत जी आपके कहे शे'रों में कोई एक छांटना मुश्किल होता है ..
सभी एक से बढकर एक ....
ज़िन्दगी सच्चाई पेश करते हुए ...
चाहे वो कठिन समय की बात हो ...
या गरीबी की ...
और ये भी पता है किसे ख्याल खुसी नहीं देता ....
बहुत खूब ....!!
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता
वाह वाह ~~~~ बहुत खूब
सारे शेर बहुत खुबसूरत हैं
बधाई
आभार
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता....
sir jo very nice....
निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
बहुत सुंदर ग़ज़ल है परन्तु मतले की पहली पंक्ति का दूसरी पंक्ति से संबंध पूर्णतया स्पष्ट नहीं है।
बहुत खुबसूरत गज़ल ||
हर शेर का भाव दिल के तह
तक जाता है ||
उम्दा , लाजवाब ||
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता
बहोत खूब सर्वत जी कमाल की गज़ल ।
Bahut achchi ghazal halat per kahi gayi behad sanjida .......sada alfaz bahut khubsurti ke saath sajaye gaye hain aapki shayri bilkul juda andaz
.चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है
सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता...
wah Zindabad
ये रिश्ते नाते भी लगते हैं उस महाजन से
जो सूद लेता है, खाता बही नहीं देता....bhatake bhatakte aapke blog par pahli baar aaya..kya khoob ghazlen kahi hain aapne padhkar tabiyat khush ho gayi.
devendra gautam
मगर लहू मुझे संजीदगी नहीं देता...
बेहतर...
चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है
सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता
मैं दर्द लेके दुखी हूँ मगर पता है मुझे
मेरा ख़याल उन्हें भी खुशी नहीं देता
Alfaaz nahee milte....kya kahun?
saare sher achhe hain par yeh चढाओ जितना भी जल, वो तो सिर्फ़ सूरज है
सुखा तो देता है लेकिन नमी नहीं देता kamaallaga
hai
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