गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

नई ग़ज़ल


सौ जतन से क्या बोलें
 अपने मन से क्या बोलें


उम्र भर खमोशी थी
 अन्जुमन से क्या बोलें 


आबले हैं पैरों में 
हम थकन से क्या बोलें


याद है हमें फ़रहाद
 कोहकन से क्या बोलें 


दार तक चले आए 
इस रसन से क्या बोलें


गुफ़्तगू है सूरज से
 हर किरन से क्या बोलें 


सच की पैरवी की है 
अब दहन से क्या बोलें


हमज़बां नहीं 'सर्वत'
 हमवतन से क्या बोलें.


25 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

हमज़बां नहीं 'सर्वत'
हमवतन से क्या बोलें.

क्या अंदाज़ है आपका ! हर लाइन मारक असर रखती है ! हार्दिक शुभकामनायें आपको !!

Unknown ने कहा…

बहुत दिनों बाद आपको पढ़ने का अवसर मिला.

आपने लिखा
...गुफ्तगू है सूरज से
हर किरण से क्या बोलें...
बहुत सुन्दर और प्रभावी.

दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन लिखा है सर!

सादर

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें
बहुत सुन्दर. लम्बे समय के बाद वापसी हुई है आपकी, सुन्दर ग़ज़ल के साथ.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें ..

बहुत खूब ... सर्वत साहब कई दिनों बाद आज आपकी ग़ज़ल पढ़ी है .... पर हमेशा की तरह कमाल के तेवर हैं हर शेर के ...
आग रखते हैं आप अपनी कलम में ...

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

भाई हम तो पहले ही तारीफ कर चुके हैं इस ग़ज़ल की| जबरदस्त ग़ज़ल है|

नीरज गोस्वामी ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें

भाई जान कहाँ रहे इतने दिन आप...आये हैं तो क्या खूबसूरत ग़ज़ल ले कर आये हैं...सुभान अल्लाह...ऐसा खूबसूरत कलाम पढ़े अरसा हो गया था....अब इतनी देरी भी ठीक नहीं...आते रहें दस्तक देते रहें...हौंसला बना रहता है...

Neeraj

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें
बहुत ही सुन्दर रचना
दिल को छू गयी

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें


सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें

बहुत ख़ूब सर्वत भाई ,,,,इतने दिनों बाद आप के ब्लॉग पर रौनक़ आई

निर्झर'नीर ने कहा…

हमज़बां नहीं 'सर्वत'
हमवतन से क्या बोलें.

बेहतरीन..........दिल को छू गयी

daanish ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें

बहुत खूबसूरत शेर कहा है... वाह !
ग़ज़ल का लुत्फ़ मिल रहा है !!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 17/06/2011 को आपकी कोई पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है.
आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत है .

धन्यवाद!
नयी-पुरानी हलचल

Pawan Kumar ने कहा…

अरसे बाद मैं सक्रिय हुआ हूँ.....! ग़ज़ल पढ़ी... उस्ताद शायरों से कुछ नया सीखने को मिलता रहता है... !

सौ जतन से क्या बोलें
अपने मन से क्या बोलें



उम्र भर खमोशी थी
अन्जुमन से क्या बोलें


आबले हैं पैरों में
हम थकन से क्या बोलें


वाह वाह....!!!!आब्लों की खामोश शिकायत का यह तरीका बहुत खूब है.

S.VIKRAM ने कहा…

सुन्दर ग़ज़ल.....एक शेर ने खासा प्रभावित किया
गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें

धन्यवाद
http://www.aarambhan.blogspot.com

ana ने कहा…

bahut achchha laga padhkar....wah

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें


सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें

बहुत खूब सर जी ,
लाज़वाब प्रस्तुति !!!

Asha Joglekar ने कहा…

सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें


हमज़बां नहीं 'सर्वत'
हमवतन से क्या बोलें.

बेहतरीन ।
आपने तो बस खामोश कर डाला
अब हम वचन से क्या बोलें ।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

हमज़बां नहीं 'सर्वत'
हमवतन से क्या बोलें.

यही सबसे बड़ा दर्द है.
-
हम फुर्सत में आपके पन्ने तक पहुँचते हैं, और आपके तेवर देख कुछ नहीं कहते.

सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें
आबले हैं पैरों में
हम थकन से क्या बोलें

क्या कहूँ मै !!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…







आदरणीय भाईजान सर्वत जमाल जी
सस्नेहाभिवादन !

बहुत समय बाद लिख पा रहा हूं …
यह ग़ज़ल पढ़ तो शायद पहले भी जा चुका हूं ।

आज कई कई बार पढ़ा … खो गया हूं , डूब गया हूं ! सौ सलाम !!
आबले हैं पैरों में
हम थकन से क्या बोलें

याद है हमें फ़रहाद
कोहकन से क्या बोलें

दार तक चले आए
इस रसन से क्या बोलें

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें

सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें


शब्द नहीं हैं मेरे पास … … …

आशा है , आप सपरिवार स्वस्थ-सानंद हैं ।


हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

सागर ने कहा…

उम्र भर खमोशी थी
अन्जुमन से क्या बोलें bhaut hi behtreen prstuti.....

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

पहली बार आपको पढ़ा ....
ग़ज़ल का शब्द शब्द बेहद खूबसूरती से लिखा है आपने ...आभार

अनुपमा पाठक ने कहा…

बहुत खूब!

कविता रावत ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें

सच की पैरवी की है
अब दहन से क्या बोलें


..बहुत खूब!...आभार

kshama ने कहा…

गुफ़्तगू है सूरज से
हर किरन से क्या बोलें
Kya baat hai!