लुटेरा कौन है, पहचान कर खामोश रहती है
रिआया जानती है, जान कर खामोश रहती है.
बगावत और नारे सीखना मुमकिन नहीं इससे
ये बुजदिल कौम मुट्ठी तान कर खामोश रहती है.
कभी अखबार, काफी, चाय,सिग्रेट, पान, बहसों में
कोई आवाज़ उबल कर, ठान कर, खामोश रहती है.
गरीबी, भुखमरी, बेइज़्ज़्ती हमराह हैं जिसके
वो बस्ती भी मुकद्दर मान कर खामोश रहती है.
दरख्तों पर असर क्या है तेरे होने न होने का
हवा खुद को जरा तूफ़ान कर, खामोश रहती है!
सोमवार, 23 अगस्त 2010
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