हर कहानी चार दिन की, बस
जिंदगानी, चार दिन की बस
तज़किरा जितने बरस कर लो
नौजवानी चार दिन की, बस
एक दिन सब लौट आयेंगे
बदगुमानी चार दिन की, बस
हुक्मरां सारे मुसाफिर हैं
राजधानी चार दिन की बस
खून टपका, जम गया, तो क्या
यह निशानी चार दिन की, बस
जब हरम में बांदियाँ आयें
फिर तो रानी चार दिन की, बस
जल्द ही सैलाब फूटेगा
बेज़ुबानी चार दिन की, बस
मुल्क पर हर दिन नया खतरा
सावधानी, चार दिन की, बस
रविवार, 30 अगस्त 2009
शनिवार, 22 अगस्त 2009
गजल- 67
दुआ की बात करते हो, यहाँ गाली नहीं मिलती
मियां दो रूपये में चाय की प्याली नहीं मिलती
यहाँ जीना तो मुश्किल है मगर मरना मुसीबत है
सुना है अब तो कोई कब्र भी खाली नहीं मिलती
कहीं तो हर कदम पर सिर्फ़ सब्ज़ा ही नजर आए
कहीं सौ कोस चलने पर भी हरियाली नहीं मिलती
हमारे दौर के बच्चों ने सब कुछ देख डाला है
मदारी को तमाशों पर कोई ताली नहीं मिलती
सफेदी ओढ़ने का यह नतीजा है कि लोगों के
लहू में भी लहू जैसी कहीं लाली नहीं मिलती
गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, मौत, सब तो हैं
मगर सरकार का दावा है, बदहाली नहीं मिलती!
मियां दो रूपये में चाय की प्याली नहीं मिलती
यहाँ जीना तो मुश्किल है मगर मरना मुसीबत है
सुना है अब तो कोई कब्र भी खाली नहीं मिलती
कहीं तो हर कदम पर सिर्फ़ सब्ज़ा ही नजर आए
कहीं सौ कोस चलने पर भी हरियाली नहीं मिलती
हमारे दौर के बच्चों ने सब कुछ देख डाला है
मदारी को तमाशों पर कोई ताली नहीं मिलती
सफेदी ओढ़ने का यह नतीजा है कि लोगों के
लहू में भी लहू जैसी कहीं लाली नहीं मिलती
गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, मौत, सब तो हैं
मगर सरकार का दावा है, बदहाली नहीं मिलती!
बुधवार, 12 अगस्त 2009
गजल- 66
जब जब टुकड़े फेंके जाते हैं
कुत्ते पूंछ हिलाते जाते हैं
हाथ हिला कर कोई चला गया
लोग खुशी से फूले जाते हैं
चेहरा बदला, तख्त नहीं बदला
चेहरे क्या हैं, आते - जाते हैं
इल्म, शराफत हैं कोसों पीछे
सिर्फ़ मुसाहिब आगे जाते हैं
सत्य, अहिंसा, प्यार, दया, ममता
इस रस्ते बेचारे जाते हैं
जीना है तो यह फन भी सीखो
कैसे तलुवे चाटे जाते हैं
सरकारी विज्ञापन पढ़िये तो !
अब भी कसीदे लिक्खे जाते हैं
झंडा, जश्न, सलामी, कुछ नारे
हम नाटक दुहराते जाते हैं।
कुत्ते पूंछ हिलाते जाते हैं
हाथ हिला कर कोई चला गया
लोग खुशी से फूले जाते हैं
चेहरा बदला, तख्त नहीं बदला
चेहरे क्या हैं, आते - जाते हैं
इल्म, शराफत हैं कोसों पीछे
सिर्फ़ मुसाहिब आगे जाते हैं
सत्य, अहिंसा, प्यार, दया, ममता
इस रस्ते बेचारे जाते हैं
जीना है तो यह फन भी सीखो
कैसे तलुवे चाटे जाते हैं
सरकारी विज्ञापन पढ़िये तो !
अब भी कसीदे लिक्खे जाते हैं
झंडा, जश्न, सलामी, कुछ नारे
हम नाटक दुहराते जाते हैं।
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