मंगलवार, 23 नवंबर 2010

बस ग़ज़ल के कुछ शेर

पत्थर पत्थर नूर दिखाई देता है 
शीशा चकनाचूर दिखाई देता है .


प्यास लिए चलते चलते मुद्दत गुज़री
दरिया अब भी दूर दिखाई देता है


लोग अंधेपन का रोना क्यों रोते हैं
आँखें हैं, भरपूर दिखाई देता है


सदियाँ गुज़री लेकिन तुमको दहशत में 
हर लंगड़ा तैमूर दिखाई देता है


धोखा पहले पाप बताया जाता था 
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है 

26 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

पत्थर पत्थर नूर दिखाई देता है
शीशा चकनाचूर दिखाई देता है .

शीशे से कह दो न जाये पत्थरों के गाँव

Satish Saxena ने कहा…

सदियाँ गुज़री लेकिन तुमको दहशत में
हर लंगड़ा तैमूर दिखाई देता है

आज तो मज़ा बाँध दिया सरवत भाई ! मुबारक हो !
जरा निम्न पोस्ट देखने की कृपा करेंगे हुज़ूर !
http://satish-saxena.blogspot.com/2010/11/iii_23.html

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...........सुन्दर अभिव्यक्ति.........

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

अंधेपन का रोना क्यों रोते हैं लोग
आँखें हैं, भरपूर दिखाई देता है

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है

वाह !
बहुत ख़ूब!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है

समां बाँध दिया सर्वत भाई ... काबिले तारीफ शेर .... हर शेर पे वाह वाह निकलता है ... गज़ब कमाल है भाई .....

vandana gupta ने कहा…

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है

हर शेर बेहतरीन्……………दिल को छू लिया।

daanish ने कहा…

प्यास लिए चलते चलते मुद्दत गुज़री
दरिया अब भी दूर दिखाई देता है

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है

ग़ज़ल के ये दोनों शेर
ग़ज़लगोई में आपकी महारत की तसदीक़ कर रहे हैं
आफ्रीं.........

Asha Joglekar ने कहा…

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है ।
वाह वाह बहोत खूब सर्वत जी ।

अर्चना तिवारी ने कहा…

प्यास लिए चलते चलते मुद्दत गुज़री
दरिया अब भी दूर दिखाई देता है....बहुत सुंदर ग़ज़ल सर जी

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

किस शेर की तारीफ़ की जाये सर जी ,
हर शेर, शेर पे सावा शेर है ||
बहुत कमाल की लेखनी || बेहतरीन !!!

श्रद्धा जैन ने कहा…

पत्थर पत्थर नूर दिखाई देता है
शीशा चकनाचूर दिखाई देता है .

waah kya baat kahi hai...


प्यास लिए चलते चलते मुद्दत गुज़री
दरिया अब भी दूर दिखाई देता है


waah waah..


धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है

waah waah..

निर्झर'नीर ने कहा…

प्यास लिए चलते चलते मुद्दत गुज़री
दरिया अब भी दूर दिखाई देता है

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है

wah bahut khoob sarvat ji
ye dono sher kuch jyada hi acche lage

Unknown ने कहा…

मैं आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आया हूँ. आपने हमेशा की तरह अच्छा लिखा है. बधाई स्वीकार करें. एक अनुरोध है आपसे कि कुछ शब्दों का अर्थ भी लिख दिया करें, ताकि मुझ जैसे कम-समझ इंसान को भी गजल पूरी समझ आ जाये.
धन्यवाद.

Unknown ने कहा…

मैं आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आया हूँ. आपने हमेशा की तरह अच्छा लिखा है. बधाई स्वीकार करें. एक अनुरोध है आपसे कि कुछ शब्दों का अर्थ भी लिख दिया करें, ताकि मुझ जैसे कम-समझ इंसान को भी गजल पूरी समझ आ जाये.
धन्यवाद.

ManPreet Kaur ने कहा…

Merry Christmas
hope this christmas will bring happiness for you and your family.
Lyrics Mantra

ManPreet Kaur ने कहा…

Merry Christmas
hope this christmas will bring happiness for you and your family.
Lyrics Mantra

mridula pradhan ने कहा…

bahut sunder.

Satish Saxena ने कहा…

कहाँ गायब हो यार ???

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सर्वत जी, हमेशा की तरह शानदार गजल। बधाई।

---------
पति को वश में करने का उपाय।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

एकबार फिर वही तेवर...! सलाम आपको, ब्लॉग पर वक़्त निकालने के लिए.

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है
शुक्रिया! शुक्रिया!!

prerna argal ने कहा…

लोग अंधेपन का रोना क्यों रोते हैं
आँखें हैं, भरपूर दिखाई देता है
main pahali baar aapki rachanaa padi hai bahut achcha likhti hai aap .ye gajal likhi aapne.badhaai sweekaren.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सदियाँ गुज़री लेकिन तुमको दहशत में
हर लंगड़ा तैमूर दिखाई देता है

सर्वत भाई सर्वत भाई ये क्या कह दिया है आपने...सुभान अल्लाह...सच कहता हूँ बरसों हुए ऐसा लाजवाब शेर पढ़े...कमाल की ग़ज़ल कही है आपने...मेरी ढेरों दाद कबूल करें.

नीरज

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है


बहुत खूब ..अच्छी गज़ल

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

सदियाँ गुज़री लेकिन तुमको दहशत में
हर लंगड़ा तैमूर दिखाई देता है

बढ़िया शेर...

shashi ने कहा…

धोखा पहले पाप बताया जाता था
लेकिन अब दस्तूर दिखाई देता है bahu hi umda.
andhepan ka rona, sab kyun rote hain, agar kahte to shaayad achha sunaai deta. maaf karna main nuks nahin nikaal raha hun apne hisaab ka wazan bna raha hun. aap tippni mita sakte hain.

Ahmad Ali Barqi Azmi ने कहा…

Hai dilnasheeN blog yeh sarwat Jamal ka
Zauq e saleem jis meiN hai Barqi kamal ka