tag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post3870766558929041282..comments2023-10-19T04:31:57.666-07:00Comments on sarwat india सर्वत इंडिया: नज़्मसर्वत एम०http://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-50259184607065488742010-02-11T04:17:55.155-08:002010-02-11T04:17:55.155-08:00उस गणतंत्र के नाम, जो गण का तो रहा नहीं, तन्त्र का...उस गणतंत्र के नाम, जो गण का तो रहा नहीं, तन्त्र का हो कर रह गया. गण भौंचक्के से तन्त्र के आगे सर झुकाए, गणतन्त्र दिवस को हसरत भरी निगाहों से देखते हैं. सोचते हैं, जाने कब वो दिन आएगा जब वास्तविक 'गणतन्त्र' होगा ।<br />आपकी कविता इसी भाव को प्रकट कर रही है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-40130037936728306512010-02-02T08:46:00.598-08:002010-02-02T08:46:00.598-08:00इतिहास जब- जब इस दौर को दोहरायेगा.
एक चौतरफ़ा निराश...इतिहास जब- जब इस दौर को दोहरायेगा.<br />एक चौतरफ़ा निराशा का चित्र ही बना पायेगा.<br />मैं शर्मिन्दा हूँ, कि अपने खुद के लिये.<br />कोई सार्थक राह ना खोज पाया, खुद शरमायेगा.<br />लिखने को लिख दी ट्टिपणी लेकिन.<br />जानता हूँ कि शायद ही कोई दर्द समझ पायेगा.sadhak ummedsingh baidhttp://sahiasha.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-55378078406740767772010-01-30T01:10:48.419-08:002010-01-30T01:10:48.419-08:00सर्वत साहब, नज़्म में जो तस्वीर उकेरी है. इसके लिए ...सर्वत साहब, नज़्म में जो तस्वीर उकेरी है. इसके लिए बधाई.<br /><br />ठोकरें खाती सांस है <br />जिंदगी बदहवास है<br /><br />महंगाई सरपर बैठी है<br />किसको भूख प्यास है<br /><br />मेले में घूमते नारे-वादे <br />गुम हुआ विकास है<br /><br />दुश्मन संधि कर लेंगे ?<br />अबकी कूटनीति खास है<br /><br />बम बारूद से घिरा भारत<br />बहादुर जवानों पर आस है<br /><br />और क्या कहूँ...<br /><br />- सुलभSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-60010835840782656722010-01-29T09:55:12.872-08:002010-01-29T09:55:12.872-08:00मंहगाई बैठी सब को परीशां किए हुए
सरकार कह रहे हैं ...मंहगाई बैठी सब को परीशां किए हुए<br />सरकार कह रहे हैं कि कुछ और सब्र हो<br />बैठे रहें तस्व्वुरे-जानां किए हुए <br /><br />गज़ब कहा सर जी..हकीकत का इससे सटीक चित्र क्या हो सकता है..सच मे यह तंत्र की खासियत होती है..कि वह जन-गण को बाहर कर देता है पहले..एक बहुत जरूरी नज्म..सबके लिये!!अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-61618166513136440472010-01-28T09:03:41.436-08:002010-01-28T09:03:41.436-08:00बेहतरीन नज्म । अंतिम पंक्तियां याद रह जाने वाली ह...बेहतरीन नज्म । अंतिम पंक्तियां याद रह जाने वाली हैं । <br /><br />देखता हूँ आजकल ऐसा ही महसूस होता गणतंत्र दिवस आने पर जैसा कि आपने लिखा है ।अर्कजेशhttp://arkjesh.blogspot.com/2010/01/blog-post_27.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-407788360303000892010-01-27T12:19:31.153-08:002010-01-27T12:19:31.153-08:00अहा, क्या खूब कहा है गुरुवर!
हर शख्स थकने लगता है...अहा, क्या खूब कहा है गुरुवर!<br /><br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर <br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई"गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-55821879885367488162010-01-27T08:11:12.700-08:002010-01-27T08:11:12.700-08:00इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई
जम्हूरियत भी आज...इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई <br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई.<br /><br />....इन दो पंक्तियों ने मन मोह लिया.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-30421201907075465222010-01-27T05:45:51.353-08:002010-01-27T05:45:51.353-08:00इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई
हर शख्स थकने लगत...इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई<br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर<br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई.<br />देश की सच्ची तस्वीर खींच दी गण त्रस्त है तन्त्र मस्त है । जय हिन्दनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-2106255444153737702010-01-27T04:09:12.170-08:002010-01-27T04:09:12.170-08:00sateek
उस गणतंत्र के नाम, जो गण का तो रहा नहीं, त...sateek <br />उस गणतंत्र के नाम, जो गण का तो रहा नहीं, तन्त्र का हो कर रह गया. गण भौंचक्के से तन्त्र के आगे सर झुकाए, गणतन्त्र दिवस को हसरत भरी निगाहों से देखते हैं. <br />sabse badee baat ye panktiyaan apne aap main ek nazm hainसंजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/04495238607820943010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-67916497123122027162010-01-27T03:57:35.521-08:002010-01-27T03:57:35.521-08:00इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई
हर शख्स थकने लगत...इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई<br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर<br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई.<br /><br />हुज़ूर....<br />मुल्क की बिलकुल वोही तस्वीर दिखा दी आपने<br />जिसके लिए आज कल हमारा प्यारा मुल्क जाना जाता है<br />मुल्क के ठेकेदारों के लिए तो <br />कुछ फ़र्क़ ना होना ही उनकाधर्म है....<br />लेकिन आम आदमी के लिए तो <br />२६ भी वोही...२७ भी वोही....<br /><br />खैर .....<br />नज़्म का लहजा बहुत ही शानदार रक्खा है<br />आपकी ज़हानत और क़ाबलियत झलक रही है<br />एकदम बड़े माहियों / टप्पों की शक्ल में पढ़ना अछा लग रहा हैdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-29943770613670261942010-01-27T01:42:52.782-08:002010-01-27T01:42:52.782-08:00धारदार रचना के लिये बधाईधारदार रचना के लिये बधाईअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-63491484167338668322010-01-27T01:24:11.530-08:002010-01-27T01:24:11.530-08:00सर्वात साहब
वेहतरीन नज्म ....
इंसानियत जो मोम थी,...सर्वात साहब <br />वेहतरीन नज्म ....<br />इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई <br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर <br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई. <br />बिलकुल दुरुस्त फरमाया अपने |<br />बहुत बहुत बधाईPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-46597530482297044712010-01-26T23:33:54.222-08:002010-01-26T23:33:54.222-08:00इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई
हर शख्स थकने लग...इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई <br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर <br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई ..<br /><br />सर्वत जी आपकी हर रचना कुछ नये और आपके जुदा कहने के अंदाज़ पर होती है ........ २६ जनवरी के उपलक्ष पर भी आपकी नज़्म के तेवर जुदा ही हैं ........ हक़ीकत से जुड़े .......... सच कहा है ६० साल में तक गयी है जम्हूरियत इन नेताओं का बोझ सहते सहते .......... कमाल की नज़्म है .........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-66112769633421555092010-01-26T12:21:40.978-08:002010-01-26T12:21:40.978-08:00गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
वाह क्या अंदाज है बहुत ...गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं<br />वाह क्या अंदाज है बहुत सुंदर ओर सफ़ चित्र खींचा है आप ने, आप की नज्म से सहमत है जी.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-50762101953929771102010-01-26T10:44:27.455-08:002010-01-26T10:44:27.455-08:00sarwat sahab assalam alaikum ,
apne mulk ke haalat...sarwat sahab assalam alaikum ,<br />apne mulk ke haalat par apki fikr o pareshani jayez hai ,khuda kare ki jald az jald inka koi saarthak hal nikleइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-25412904728133452622010-01-26T09:35:34.054-08:002010-01-26T09:35:34.054-08:00इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई
हर शख्स थकने लग...इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई <br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर <br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई.<br />सच है. यही हालात हैं देश के, और इन्सानियत के.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-78679744084223337342010-01-26T08:29:10.890-08:002010-01-26T08:29:10.890-08:00मोहतरम सर्वत साहब, आदाब
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं...मोहतरम सर्वत साहब, आदाब<br />गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं<br />नज्म क्या, चंद लफ्ज़ों में पूरी व्यवस्था का <br />शानदार खाका खींच दिया आपने...<br /><br />वैसे <br />दोनों राष्ट्रीय पर्व (15 अगस्त, 26 जनवरी) <br />के मुबारक मौके पर<br />मैं खुद, सैधांतिक रूप से यही सोचता हूं-<br />...छोड़ हर शिकवा-गिला, दिल को मिला, जश्न मना<br />भूल जा अपनी जफ़ा, मेरी खता, जश्न मना.....<br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-60164528983348670212010-01-26T06:04:45.181-08:002010-01-26T06:04:45.181-08:00कानून, संविधान- हरे राम राम राम
बाहर की बात छोड़ि...कानून, संविधान- हरे राम राम राम <br />बाहर की बात छोड़िए खतरे तो घर में हैं <br />है कोई सावधान- हरे राम राम राम <br /><br />इंसानियत जो मोम थी, वो काठ की हुई <br />हर शख्स थकने लगता है इक उम्र आने पर <br />जम्हूरियत भी आज चलो साठ की हुई. <br /><br />kadhwi sachchayi bayan kee hai aapne <br />kaise kahe ki ham aazad haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-79540440796364098472010-01-26T04:44:12.606-08:002010-01-26T04:44:12.606-08:00बिलकुल सच्ची बात ।बिलकुल सच्ची बात ।Vinashaay sharmahttps://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com