tag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post2977247483718002136..comments2023-10-19T04:31:57.666-07:00Comments on sarwat india सर्वत इंडिया: सब कुछ है अपने देश में...!!!सर्वत एम०http://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-40330369242109338672011-11-06T01:40:54.765-08:002011-11-06T01:40:54.765-08:00बहुत सच कहा आपने, ये सूरत बदलनी चाहिए...लेकिन कौन ...बहुत सच कहा आपने, ये सूरत बदलनी चाहिए...लेकिन कौन लड़ता हैं आज बेइंसाफी के खिलाफ? आज की पीढ़ी का मौज मस्ती ही मंत्र हे. कौन सोचता हे इंसानियत के बारे ?<br />मेरा संघर्ष जारी हे, ये वादा हे.Rahul Paliwalhttps://www.blogger.com/profile/10172932105201007746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-26116709984375188552010-07-11T17:30:34.847-07:002010-07-11T17:30:34.847-07:00बहुद ही तकलीफ हुई ये सब जानकर.. झा जी ने वैसे बता ...बहुद ही तकलीफ हुई ये सब जानकर.. झा जी ने वैसे बता ही दिया है कि कैसे क्या करना है.. पर मेरे लायक कोई आदेश हो तो कहियेगा mashal.com@gmail.com परदीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-74929610692172047482010-07-05T06:04:05.731-07:002010-07-05T06:04:05.731-07:00पढ़ कर
मन बहुत दुखी हो गया ...
ज़रा देखो सही जाकर,...पढ़ कर <br />मन बहुत दुखी हो गया ...<br /><br />ज़रा देखो सही जाकर, ज़माने में है ग़म कितना <br />लगेगा फिर तुम्हे ऐसे, तेरा हर हादिसा कम हैdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-59579503462350418612010-07-04T23:28:45.679-07:002010-07-04T23:28:45.679-07:00Main samajh sakti hoon.Kuch aise anubhavon se mera...Main samajh sakti hoon.Kuch aise anubhavon se mera bhi samna hua hai.sthithi me parivartan lane ke liye hum sabko sath mil kar kam karne ki jarurat hai.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-24779667249065179262010-06-26T04:31:01.517-07:002010-06-26T04:31:01.517-07:00आज यूँ ही ख्याल आया बहोत दिनों से आप दिखाई नहीं दे...आज यूँ ही ख्याल आया बहोत दिनों से आप दिखाई नहीं दे रहे तो चली आई .....<br /><br />सर्वत जी कई बार ऐसी घटनाएं हो जाती है जो भीतर तक हिला जाती हैं ,,,,न जाने दूसरों के प्रति मनुष्य इतना संवेदनहीन क्यों हो जाता है .....क्यों उनकी इंसानियत मर जाती है ....<br />बेहद अफसोसजनक घटना .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-82114664504503410412010-06-24T02:46:25.626-07:002010-06-24T02:46:25.626-07:00wakai zhakjhor dene wali post hai , aise mamle me ...wakai zhakjhor dene wali post hai , aise mamle me supreme court ko aage aa kar nirnay dena chahiye..स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-70143826376309341942010-06-19T22:47:54.717-07:002010-06-19T22:47:54.717-07:00सर्वत साहब..
???????
!!!!!!!!!!!
’नो कमेंट’
चलेगा?...सर्वत साहब..<br />???????<br />!!!!!!!!!!!<br />’नो कमेंट’<br />चलेगा???शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-62581049438932284552010-06-12T10:45:17.349-07:002010-06-12T10:45:17.349-07:00बदकिस्मती इस देश की ....बदकिस्मती इस देश की ....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-6431941370803483642010-06-12T02:56:58.991-07:002010-06-12T02:56:58.991-07:00कुछ न कहने से भी मिट जाता है एजाज़-ए-सुखन
ज़ुल्म स...कुछ न कहने से भी मिट जाता है एजाज़-ए-सुखन<br /><br />ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है.<br />अभी तो इस शेर ने ही निश्बद कर दिया। क्या कहें इस देश की कुवयवस्था पर सिवा मन मे कुढने के और कोसने के एक आम आदमी कर भी क्या सकता है? एक बात समझ नही आती की ये सरकारी अफसर या कर्मचार्5एए आते कहां से हैं हम सब मे से -- समाज मे से तो क्या आपको भी नही लगता कि पूरे समाज मे और हम सब मे कहीं न कहीं कुछ ऐसा जरूर है जिसे टटोलने की जरूरत है हमारा चरित्र किस कदर गिरता जा रहा है संवेदनायें मर रही हैं औरिन्सान ही इन्सान की बरबादी का कारण बनता जा रहा है। हम खुद को बदलने के सिवा कर भी क्या सकते हैं अगर हम सब खुद को बदलें और जो अच्छे लोग हैं मिल कर ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठायें तो शायद कुछ हो सकता है। आपके दुख मे साझीदार हूँ शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-65786606158488488372010-06-09T18:51:20.020-07:002010-06-09T18:51:20.020-07:00सर्वत जी बहुत ही दुखद समाचार है ऐसी बातें बड़े बड़...सर्वत जी बहुत ही दुखद समाचार है ऐसी बातें बड़े बड़े आला अफसरों के बीच में ही दब कर रह जाते है जबकि इसे आम जनता के बीच में भी आना चाहिए ताकि न्याय हो सके...पता नही वो दिन कब आएगा जब क़ानून का सही पक्ष लोगों के सामने होगा और ठीक से न्याय हो पाएगा...विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-80016260710210063872010-06-09T02:38:15.504-07:002010-06-09T02:38:15.504-07:00मेरे विभाग रेलवे में भी हमारी ही शाखा के एक अधिकार...मेरे विभाग रेलवे में भी हमारी ही शाखा के एक अधिकारी थे दीक्षित जी। उम्र 57-58 के बीच थी - मगर हमारी दोस्ती के बीच न उम्र कभी आड़े आई न पद - किसी बात पर एक दिन कहने लगे - "अरे हिमान्शु जी! आप क्या समझते हैं? ये जो पैर छूने वाले हैं ये भी और जो रोज़ आपको हमको देवता बनाने पर जुटे रहते हैं ये भी - अगर अभी हमें कुछ हो जाय तो पेंशन का भुगतान तो बाद की बात है, कोई भुगतान आसानी से नहीं होगा। और हमारे घर की औरतें तो घर की ही होके रही हैं…।" बात आई-गई हो जाती, मगर दैवयोग से ढाई महीने बाद ही उनकी हृदयाघात से अचानक घर पर मृत्यु हो गई।<br />जो पापड़ बेलने पड़े डेथ-सर्टीफ़िकेट बनवाने में कि संस्कार हो सके - कि शरीर को भी चौबीस से अधिक घण्टे सहेजना पड़ा। बाक़ी तफ़्सील से क्या - मगर हाँ उनकी फ़ैमिली पेंशन भी दो महीने बाद कार्यवाही शुरू करके, काफ़ी दौड़-धूप के बाद एक महीने में शुरू हो पाई उनकी पत्नी को, जबकि उच्च पदस्थ दो अधिकारी लगातार चेज़ करते रहते थे मामले को।<br />मुझे लगता है कि बिरले ही पब्लिक सर्वेण्ट को याद रहा है अब कि वह जनता की सेवा के लिए है।<br />आपकी उलझन कैसे बाँटूँ! समझ नहीं आता।<br />कोई एक व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं था ऊपर लिखे मामले में देरी में। दीक्षित जी भी वरिष्ठ संवर्ग के अधिकारी थे - जो ज़िले में जिला विद्यालय निरीक्षक या जिला शिक्षा अधिकारी या सुपरिण्टेण्डेण्ट ऑफ़ पुलिस या आर्मी में कहें तो कैप्टन का गेड होता है।<br />और उनके मामले को लेकर दौड़ने वाले वो लोग थे जो उनसे नौकरी नहीं, अन्य कारणों से आत्मीय थे - जैसे हम लोगों का ब्लॉग-रिश्ता है।Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-62201696224914655292010-06-09T00:03:24.665-07:002010-06-09T00:03:24.665-07:00bahut dukh ki bat hai unka bete piush kahan hai ab...bahut dukh ki bat hai unka bete piush kahan hai abhi hame agar kuch karna hai to uske liye jarur kerni chahiye <br /><br />Prerna jhaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00361948994322594741noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-50430374937391039572010-06-08T08:54:36.546-07:002010-06-08T08:54:36.546-07:00Bau jee,
Namaste!
Aaye the hum bhi gazal ki talas...Bau jee,<br />Namaste! <br />Aaye the hum bhi gazal ki talash mein, aakrosh bhare man se wapis jaa rahe hain!<br />Zara sochiye, wo in kameeno (maaf karein, main lucknow se nahin hoon) ka hi sahkarmi tha...सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-58471620323278152492010-06-07T05:29:22.233-07:002010-06-07T05:29:22.233-07:00सर जी सचमुच बहुत घुटन हो रही है ये सब पढ़कर...कम स...सर जी सचमुच बहुत घुटन हो रही है ये सब पढ़कर...कम से कम सहयोगी कर्मचारियों को तो मदद करना ही चाहिए था ...वे भी आँखें मूंदे रहे बड़े आश्चर्य की बात है..मेरे पिता जी भी सरकारी अधिकारी थे(अब सेवानिवृत) मैंने उनको ऐसे ही कई कार्यों में मदद करते देखा था...आज क्या हो गया है लोगों को..कुछ करना चाहिए.. पर कैसे? ये प्रश्न है ..अर्चना तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-22796581798507497062010-06-06T05:39:34.670-07:002010-06-06T05:39:34.670-07:00Sharmnaak.......Sharmnaak.......योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-74415121423450983782010-06-06T00:35:38.783-07:002010-06-06T00:35:38.783-07:00हमारी संवेदन-शून्यता ऐसे उदाहरणों की महताज नही है ...हमारी संवेदन-शून्यता ऐसे उदाहरणों की महताज नही है सर जी..ऐसी बातें हमारे दैनिंदिन जीवन मे इतना कॉमन हो गयी है कि ऐसी खबर सुन कर भी हमें कुछ खास ’फ़ील’ नही होता...और यह हमारे नैतिक दोगलेपन की विडम्बना नही तो क्या है कि ’बुढ़ापे’ पर एक संवेदनशील ग़ज़ल पढ़ कर वाह-वाह करने वाले मुलाजिम किसी सत्तर-साला बुजुर्ग को वृद्धावस्था पेंशन के लिये महीनो तक दौड़ाये रखते हैं..हमारी मानवता ही जिंदगी की हमारी रेस की सबसे बड़ी शिकार है...!अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-70476087468039955122010-06-05T12:52:38.235-07:002010-06-05T12:52:38.235-07:00Sarwat ji aap agar bete ke liye kuch karna chahen ...Sarwat ji aap agar bete ke liye kuch karna chahen aur hamare madad kee jarurat ho to jaroor karenge. Is bat ko to akhbar kee surkhiyon me aana chhiye. Muze to afsaron ka achcha khasa anubhaw hai.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-78425411301403160192010-06-05T05:34:55.786-07:002010-06-05T05:34:55.786-07:00insaniyat gayab hotee ja rahee hai .
sarkaree maml...insaniyat gayab hotee ja rahee hai .<br />sarkaree mamlo me khaskaer . Private firms me ye nahee hota .........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-23874718282830579222010-06-05T05:25:14.922-07:002010-06-05T05:25:14.922-07:00चुप चाप जुर्म सहना भी गुनाह ही होता है ... सही कहा...चुप चाप जुर्म सहना भी गुनाह ही होता है ... सही कहा है आपने ... आज समाज का वातावरण ऐसा हो गया है ... दर असल पुलिस, सरकारी विभाग, सरकारी तंत्र ..... सब कुछ अँग्रेज़ों के ज़माने से चला आ रहा है .. इसमें कोई सुधार नही किया गया ... पहले अँग्रेज़ राज करते थे इन क़ानूंन् का सहारा ले कर ... आज़ादी के बाद इनमें बदलाव लाना चाहिए था .. पर अब ये नये राज करने वाले लोग आ गये है तो बदलाव कौन लाएगा ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-85514172213612316992010-06-05T04:22:26.142-07:002010-06-05T04:22:26.142-07:00सर्वत जी
सादर
यह कोई अकेला मामला नहीं है. लगभग हर...सर्वत जी<br />सादर <br />यह कोई अकेला मामला नहीं है. लगभग हर राज्य में यहाँ तक कि दिल्ली में भी यही स्थिति बनी हुई है. मेरे एक अत्यंत करीबी (कुछ कुछ लंगोटिया जैसा) जो कि शिक्षा विभाग में अध्यापन कर रहे थे, की मृत्यु पिछले साल हो गयी थी. उनका परिवार जिसमें लड़्का जो कि कमर के नीचे 100% विकलांग है और जिनकी दो जुड़वा बच्चे है की भी हालत कमोबेश ऐसी ही है फंड वगैरह बामुश्किल मिला तो सहानुभूति आधारित नौकरी (उनकी पत्नी के लिये) अधर में लटका हुआ है जबकि वे भी एम. ए. बी. एड. हैं. <br />उनके लिये उनकी मृत्यु उपरांत एक कविता लिखी थी <br />http://verma8829.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html<br />बाबुओं की दशा और दिशा अत्यंत निराशाजनक है. आप जरूर कदम उठाये.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-30225506210394739342010-06-05T04:17:15.613-07:002010-06-05T04:17:15.613-07:00सर्वतजी ,
संवेदना से परिपूर्ण आपकी मानवीयता को सला...सर्वतजी ,<br />संवेदना से परिपूर्ण आपकी मानवीयता को सलाम !<br />हृदयहीनता की ऐसी अनेक घटनाओं को हम देखते - सुनते हैं , और 'हमें क्या ?' के भाव से यूं ख़ामोश रह जते हैं , जैसे कुछ हुआ ही नहीं ।<br />करें भी क्या … ऊपर से <b> मेरा भारत महान !</b><br /><br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com" rel="nofollow">शस्वरं</a>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-16096329274703007812010-06-05T03:59:21.638-07:002010-06-05T03:59:21.638-07:00सरवत .एम.जमाल जी
सादर स्नेह,
इंसानियत के मदद के लि...सरवत .एम.जमाल जी<br />सादर स्नेह,<br />इंसानियत के मदद के लिए सोचने ओर ब्लॉग पर लिखने के लिए धन्यवाद | आप मिथलेश ओर उसके पति से सम्बंधित सारे तथ्यों को जमा कर उस पर किस अधिकारी की लापरवाही से ऐसा हुआ,किस अधिकारी ने उसके पति की मृत्यु के बाद भी परेशान करने का काम किया जिससे परेशानी को नहीं झेलने की वजह से मिथलेश की मृत्यु हो गयी इत्यादि को आधार बनाकर उसके पुत्र से एक पत्र मानवीय सहायता के आधार पर देश के प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति ओर सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश को लिखवायें जिसमे दोषी अधिकारीयों के लापरवाही को भी जरूर लिखें | आप इस आधार पर मिथलेश के पुत्र की तरफ से जनहित याचिका भी दायर कर सकते हैं ,जिससे प्रशासन को कार्यवाही करनी ही होगी लेकिन ध्यान रहे वकील इमानदार ओर सच्चा इन्सान जरूर हो |<br /> आप इस तरह के मुद्दों पर जरूर लिखें ओर इंसानियत की मदद भी जमीनी स्तर पर करें ,यही एक इन्सान का फर्ज है | आपको हमारे सुझाव ओर सलाह की जरूरत हो तो हमें कभी भी फोन कर सकते हैं -09810752301 पर |honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-67271835214862688542010-06-05T03:58:24.059-07:002010-06-05T03:58:24.059-07:00यह तो सचमुच संवेदनहीन स्थिति है............! कारण ...यह तो सचमुच संवेदनहीन स्थिति है............! कारण जो भी हो आत्महत्या कोई यूँ ही नहीं करता....! आपकी पोस्ट में हमारा स्वर शामिल है....!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-18032860476567482342010-06-05T03:18:24.950-07:002010-06-05T03:18:24.950-07:00बाबुओं के आगे हाथ जोड़े, निदेशक से भी मिली लेकिन उस...बाबुओं के आगे हाथ जोड़े, निदेशक से भी मिली लेकिन उसे कोरे आश्वासन ही मिलते रहे.<br />जब यह लोग मरेगे तो इन के बीबी बच्चे भी युही धक्के खायेगे, बस इन कमीनो को इतना बता देना चाहिये.......<br />आप का यह लेख पढ कर दिल बहुत उदास होगयाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com