tag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post4500278927316615339..comments2023-10-19T04:31:57.666-07:00Comments on sarwat india सर्वत इंडिया: ग़ज़ल....ek baar phirसर्वत एम०http://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-62174761745450912062010-06-23T01:50:20.325-07:002010-06-23T01:50:20.325-07:00पुरानी ग़ज़लों पर आपकी, टिप्पणी नहीं करता था कि आदाब...पुरानी ग़ज़लों पर आपकी, टिप्पणी नहीं करता था कि आदाब नहीं पता थे इस ब्लॉग दुनिया के। अब मैं यहाँ तक्ल्लुफ़ से ऊपर, अपने-"पन" तक आ गया हूँ। अपनी पर आते-आते याद आया कि आपकी ये ग़ज़ल-कैसा हॉण्ट करती रहती है - सो आ गया शुक्रिया अदा करने इस स्जे'र का -<br />"काम आती है सिर्फ़ नामर्दी"<br />और हम क्या नया-पुराना सोचें - नई जगह है - नए लोग, तो हमारे लिए तो सब कुछ नया ही है।<br />बहुत ख़ूब है ये तंज़िया अंदाज़।Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-27423133456575785322010-03-05T06:06:35.796-08:002010-03-05T06:06:35.796-08:00आपकी आंखों में नमी भर दी !
बेगुनाहों ने मर के हद क...आपकी आंखों में नमी भर दी !<br />बेगुनाहों ने मर के हद कर दी<br /><br />hmm bahut gahri baat ......<br /><br /><br /><br />आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों <br />काम आती है सिर्फ़ नामर्दी <br /><br /><br />फिर कहीं बेकसूर ढेर हुए <br />आज कितनी अकड़ में है वर्दी <br /><br />hmm bahut sach<br /><br /><br />आदमी हूँ, मुझे भी खलता है<br />पेड़ पौधों से इतनी हमदर्दी!<br /><br /><br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी<br />bahut hi gahra kataksh ......<br /><br /><br />aapki gazal bahut pasand aayi<br />zamane baad aapko padhna achcha laga<br /><br />likhte raheश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-15570519399946542982010-01-05T21:45:00.377-08:002010-01-05T21:45:00.377-08:00नया साल आपको मुबारक हो, हालाँकि बहुत देर से मुबारक...नया साल आपको मुबारक हो, हालाँकि बहुत देर से मुबारक पेश कर रहा हूँ. आपने फिल्म देखी, बीयर पी, ख़ाक लुत्फ़ उठाया, ८०% रात बच्चों की फ़िक्र में गुज़ार दी. लेकिन एक बात अगर नहीं कही तो शायद मेरा शुमार काफिरों में हो जाए, जाते हुए साल की और आते हुए साल का पहला लम्हा जिस अंदाज़ से आपने गुज़ारा, उसका ज़िक्र इतने प्यारे अंदाज़ में किया, उसने नए साल की खुशियों में और भी इजाफा कर दिया.<br />जर्मनी में रहते हुए भी आपने बच्चों की परवरिश जिन संस्कारों के साथ की है, उसके लिए आपको सलाम करता हूँ.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-62223784548085905492009-12-18T17:57:42.091-08:002009-12-18T17:57:42.091-08:00छोटे बहर में बड़े तेवर से लिखते हैं आप!
आपको पढ़ते...छोटे बहर में बड़े तेवर से लिखते हैं आप!<br />आपको पढ़ते-पढ़ते बहुत नीचे चला गया... मेरा मतलब है कि कई गज़लें पढ़ लीं..<br />आइना हूँ मैं दीवार पर <br />आइये, देखिये, जाइए<br />--पहले तो इसी शेर को पढ़कर लौटने का मन किया था फिर बेहयायी से पूरा पढ़ गया...<br />अब लग रहा है कि अच्छा किया आप का ही एक शेर याद आया<br />--आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों <br />काम आती है सिर्फ़ नामर्दी <br />-- खुशी हुई आप को पढ़कर।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-5786061645005303242009-12-12T10:33:34.385-08:002009-12-12T10:33:34.385-08:00आदमी हूँ, मुझे भी खलता है
पेड़ पौधों से इतनी हमदर्...आदमी हूँ, मुझे भी खलता है<br />पेड़ पौधों से इतनी हमदर्दी!<br />....................................<br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी <br />................................<br />दाद के लिये आम लफ्ज़ों से काम नहीं चलने वाला<br />यहां तो इसके लिये भी हुनर चाहिये<br /><br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-17014134771165953352009-12-04T03:16:13.477-08:002009-12-04T03:16:13.477-08:00Namaskar
bahut hi lazbaabNamaskar <br /><br />bahut hi lazbaabAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13680139649745437697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-33368131236261228442009-11-25T09:59:24.730-08:002009-11-25T09:59:24.730-08:00कहाँ हो भाई जी ? खैरियत तो है ??कहाँ हो भाई जी ? खैरियत तो है ??Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-18766616510514330892009-11-23T07:13:34.436-08:002009-11-23T07:13:34.436-08:00मोती पिरोये हैं आपने ! शुभकामनायें भाई जी !मोती पिरोये हैं आपने ! शुभकामनायें भाई जी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-16651033420976926952009-11-09T02:46:54.199-08:002009-11-09T02:46:54.199-08:00जिंदगी की तल्ख सच्चाईयों को शेरों में आपने बहुत खू...जिंदगी की तल्ख सच्चाईयों को शेरों में आपने बहुत खूबसूरती से पिरोया है। बहुत बहुत बधाई।<br />------------------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-37071779412348959412009-11-03T14:34:35.819-08:002009-11-03T14:34:35.819-08:00विचारपूर्ण , झकझोरने वाली गज़ल ।
आपकी आंखों में नम...विचारपूर्ण , झकझोरने वाली गज़ल ।<br /><br />आपकी आंखों में नमी भर दी !<br />बेगुनाहों ने मर के हद कर दीअर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-79105076705372823752009-11-03T09:10:33.242-08:002009-11-03T09:10:33.242-08:00भई वाह ....भई वाह ....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-69386255803554591502009-10-31T20:29:30.762-07:002009-10-31T20:29:30.762-07:00आदमी हूँ, मुझे भी खलता है
पेड़ पौधों से इतनी हमदर्...आदमी हूँ, मुझे भी खलता है<br />पेड़ पौधों से इतनी हमदर्दी!<br /><br />वाकई आज मेनका गांधी सरीखे लोग पशुओं के नाम पर नाम रोटी खा ऐश कर रहे हैं आम आदमी को कौन पूछता है,रोज विलुप्त प्र्जातियों ,पौधों -पशुओंसे अखबार पटे हैं .रेड इन्डिय्न्स से शुरू हो कितनी जन जातियाम लुप्त हो गईं ,धोबी-पकावे-पथेरे-रंगरेज व दर्जी[ रेडीमेड के चलते] विलुप्त हो रहें हैं कौन पूछता है ? आपकी चिन्ता वाजिब है <br />और वाजिब व प्रभाव शाली है आपकी गजल बधाई<br />श्याम सखा श्यामgazalkbahanehttps://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-16567935334064109042009-10-31T11:19:16.858-07:002009-10-31T11:19:16.858-07:00अपनी पगडी तो पाँव में धर दी .... क्या बात है ।अपनी पगडी तो पाँव में धर दी .... क्या बात है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-82767046993916699302009-10-30T11:37:04.590-07:002009-10-30T11:37:04.590-07:00वह सर्वत साहब
नए पुराने से क्या होता है
असर चोट...वह सर्वत साहब<br /><br />नए पुराने से क्या होता है <br /> असर चोट खाने से होता है <br /><br />तालीम तजुर्बा दोनों हाज़िर <br />पता आजमाने से होता है <br /><br />हमेशा की तरह शानदार ग़ज़ल <br />चौथे शेर मे लगानी पद रही है अकलगर्दूं-गाफिलhttps://www.blogger.com/profile/18099843303913951602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-51885051065653724512009-10-30T03:00:56.295-07:002009-10-30T03:00:56.295-07:00और बेटी का बाप क्या करता
अपनी पगडी तो पाँव में धर ...और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी <br /><br />"काम आती है नामर्दी" का इससे बड़ा सुबूत और क्या होगा.<br /><br />बेहतरीन ग़ज़ल एक बार फिर से.....................<br /><br />हार्दिक बधाई.<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-77409055277151844512009-10-29T23:39:14.573-07:002009-10-29T23:39:14.573-07:00likhte rahe yuhin aap sada,
yahi hai khuda ki marz...likhte rahe yuhin aap sada,<br />yahi hai khuda ki marziKafirhttps://www.blogger.com/profile/07887670753259175087noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-46404585218375889842009-10-29T23:10:35.998-07:002009-10-29T23:10:35.998-07:00कुछ हट कर कहे गये शेरों ने ग़ज़ल की सुंदरता बढ़ा दी ह...कुछ हट कर कहे गये शेरों ने ग़ज़ल की सुंदरता बढ़ा दी है। यही तेवर तो माँग रही है आज की ग़ज़लें।<br /><br />साधुवाद सर!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-20735577398265611532009-10-29T20:05:26.727-07:002009-10-29T20:05:26.727-07:00bohot sundar likha aapne, lajawaab sher .bohot sundar likha aapne, lajawaab sher .Gaurav Singhhttps://www.blogger.com/profile/15026211843082204897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-14156489138043119622009-10-29T06:30:07.990-07:002009-10-29T06:30:07.990-07:00फिर कहीं बेकसूर ढेर हुए
आज कितनी अकड़ में है वर्द...फिर कहीं बेकसूर ढेर हुए<br />आज कितनी अकड़ में है वर्दी <br /><br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी <br /><br />huzoor !!<br />ye to kamaal kar diyaa aapne<br />ghazal meiN aisi sachchi baateiN..<br />aur wo bhi iss itmenaan se keh lena,,<br />aap hi ke bs ki baat hai<br />mubarakbaad qubool farmaaeiNdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-39432274116569647582009-10-29T05:52:54.860-07:002009-10-29T05:52:54.860-07:00आपकी आंखों में नमी भर दी !
बेगुनाहों ने मर के हद क...आपकी आंखों में नमी भर दी !<br />बेगुनाहों ने मर के हद कर दी<br />बहुत बडा शेर है. वाह! हद शब्द इसके ग़ज़लपन की नींव में है.<br />ये भी बहुत अच्छा शेर हुआ है-<br />उग के सूरज ने धूप क्या कर दी<br />ज़र्द चेहरों की बढ़ गयी ज़र्दी<br /><br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी <br />इअसके लिये तो बस आह!<br />आदमी हूँ, मुझे भी खलता है<br />पेड़ पौधों इतनी हमदर्दी!<br />शेर अच्छा है इसमें पेड पौधों के बाद शायद 'से' छपने से रह गया है. <br />इस उम्दा ग़ज़ल के साथ जन्म दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनाएं.<br />आपके आजके जन्मदिवस की संख्या में दो का गुणा हो.संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/04495238607820943010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-28460546907616021282009-10-29T03:10:15.431-07:002009-10-29T03:10:15.431-07:00आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों
काम आती है सिर्फ़ न...आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों <br />काम आती है सिर्फ़ नामर्दी <br /><br />बहुत khoob....!!<br /><br />फिर कहीं बेकसूर ढेर हुए <br />आज कितनी अकड़ में है वर्दी <br /><br />waah .....!<br /><br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी <br /><br />बहुत ही gambhir maslon पर tikhe shbdon का vaar है .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-46141892491313514642009-10-28T08:53:57.963-07:002009-10-28T08:53:57.963-07:00पूरी गज़ल ही लाजवाब है मगर ये शेर दोल को छू गया
और ...पूरी गज़ल ही लाजवाब है मगर ये शेर दोल को छू गया<br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दी <br />शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-32851235511769839012009-10-28T05:00:33.935-07:002009-10-28T05:00:33.935-07:00sarwat ji, mujhe to ye bhala laga, vaise poori rac...sarwat ji, mujhe to ye bhala laga, vaise poori rachna behatareen hai<br /><br />और बेटी का बाप क्या करता<br />अपनी पगडी तो पाँव में धर दीYogesh Verma Swapnhttps://www.blogger.com/profile/01456159788604681957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-30003863072385338012009-10-28T02:33:34.731-07:002009-10-28T02:33:34.731-07:00आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों
काम आती है सिर्फ़ ना...आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों<br />काम आती है सिर्फ़ नामर्दी <br />आदमी हूँ, मुझे भी खलता है<br />पेड़ पौधों इतनी हमदर्दी!<br />धारदार व्यंग्य ...बहुत खूब ..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8985437961736548388.post-61797925994431438572009-10-28T02:22:35.572-07:002009-10-28T02:22:35.572-07:00आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों
काम आती है सिर्फ़ ना...आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों<br />काम आती है सिर्फ़ नामर्दी <br /><br />सर्वत साहब पुरी की पुरी गजल ही लाजवाव है किस किस शेर की तारीफ़ करुं..... आप ने आईना दिखा दिया, बहुत गहरे भाव है , बहुत दर्द है आप की गजल मे.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com